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औद्योगिक उत्पादन 3.1 प्रतिशत बढ़ा

Last Updated- December 11, 2022 | 11:34 PM IST

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक कमजोर आधार का असर खत्म होने के बाद सितंबर महीने में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में औद्योगिक उत्पादन 3.1 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं सितंबर में 11.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी।
पिछले साल की तुलना में 3 प्रतिशत वृद्धि मुख्य रूप से खनन व विनिर्माण गतिविधियां बढऩे से हुई है।
मात्रा के आधार पर औद्योगिक उत्पादन, जिसे औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आधार पर मापा जाता है, कोविड के पहले के साल सितंबर, 2019 की तुलना में 4 प्रतिशत बढ़ा है। बहरहाल पिछले महीने की तुलना में इसमें 2.6 प्रतिशत का संकुचन आया है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘जैसा कि अनुमान लगाया गया था, आईआईपी में सितंबर, 2021 में वृद्धि 3.1 प्रतिशत रही है। इससे आधार के असर, भारी बारिश के कारण आए व्यवधान और सेमी कंडक्टरों की कमी का पता चलता है। त्योहार के पहले भंडारण बढ़ाए जाने के कारण जीएसटी ई-वे बिल के आंकड़ों में तेजी के बावजूद ऐसा हुआ है।’
वित्त वर्ष 2021-22 में अप्रैल-सितंबर के दौरान कुल वृद्धि 23.5 प्रतिशत रही है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 20.8 प्रतिशत का संकुचन आया था।
सूचकांक में 77 प्रतिशत अधिभार वाले विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में सितंबर में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले साल 0.4 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। पिछले महीने की तुलना में इसमें 0.5 प्रतिशत का संकुचन आया है।
बिजली उत्पादन में वृद्धि 0.9 प्रतिशत रही है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 4.9 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। खनन गतिविधियों की सूचकांक में हिस्सेदारी 14 प्रतिशत से ज्यादा है, इसमें 8.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि सितंबर, 2020 में 1.4 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
इंडिया रेटिंग्स में प्रधान अर्थशास्त्री सुनील के सिन्हा ने कहा, ‘आईआईपी के आंकड़ों के व्यापक वर्गीकरण के आधार पर देखें तो सितंबर, 2021 के आंकड़े कुछ दिलचस्प संकेत देते हैं। सितंबर, 2021 में सालाना आधार पर वृद्धि के बावजूद खनन व विनिर्माण दोनों सेग्मेंट में उत्पादन का स्तर अभी भी कोविड के पहले के स्तर की तुलना में कम है। वहीं दूसरी तरफ बिजली क्षेत्र में सितंबर, 2021 में पिछले साल से महज 0.9 प्रतिशत वृद्धि हुई है, लेकिन इसका उत्पादन कोविड के पहले के स्तर की तुलना में ज्यादा है।’ उपभोक वस्तुओं के उत्पादन में 2 प्रतिशत का संकुचन आया है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
पूंजीगत वस्तुओं से निजी निवेश का पता चलता है, जिसमें 1.3 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 1.2 प्रतिशत संकुचन आया था। निर्माण एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र की वृद्धि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में सितंबर में 7.4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल 4 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
नाइट फ्रैंक इंडिया में मुख्य अर्थशास्त्री और शोध की राष्ट्रीय निदेशक रजनी सिन्हा ने कहा, ‘अगर आगे देखें तो 2022 में सतत आर्थिक गति में अहम भूमिका सरकार द्वारा प्रोत्साहित नीतियों के माध्यम से ग्राहकों के खपत में वृद्धि से होगी। अगर आगे चलकर क्षमता के उपयोग में सुधार होगा तो निजी निवेश भी बढ़ेगा।’

First Published - November 13, 2021 | 12:32 AM IST

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