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एनपीसीआई के फैसले से उद्योग के दिग्गज आश्चर्यचकित

Last Updated- December 14, 2022 | 9:32 PM IST

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से तीसरे पक्ष के लिए लेन देन की कुल मात्रा का 30 प्रतिशत तक सीमित करने के फैसले पर उद्योग जगत ने आश्चर्य जताया है। उद्योग जगत का कहना है कि इससे उन लाखों लोगों पर असर पड़ सककता है, जो यूपीआई का इस्तेमाल अपने रोजमर्रा के भुगतान में करते हैं।
हालांकि उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि इसका मकसद यूपीआई इकोसिस्टम में संतुलन लाना है, जिसमें कुछ बड़े सेवाप्रदाताओं का प्रभुत्व है। इसके साथ ही  पहले से मैसेजिंग सेवा में प्रभुत्व स्थापित कर चुके नए सेवा प्रदाता व्हाट्सऐप के व्यवस्था में प्रवेश से सीमा न लगाने की स्थिति में बाजार और सिमट सकता है। इस समय यूपीआई प्लेटफॉर्म पर तीसरे पक्ष के 21 सेवा प्रदाता हैं।
एनपीसीआई ने तर्क दिया है कि इससे जोखिम कम करने में मदद मिलेगी और यूपीआई इकोसिस्टम को बचाया जा सकेगा।
पीडब्ल्यूसी में पार्टनर, लीडर-पेमेंट्स ट्रांसफार्मेशन मिहिर गांधी ने कहा, ‘इस कदम का मकसद एक या दो सेवा प्रदाताओं तक सेवाओं के केंद्रीयकरण का जोखिम कम करना है, जिनका इस समय यूपीआई बाजार हिस्सेदारी में प्रभुत्व है। साथ ही इसका मकसद नए सेवा प्रदाताओं को मौका देना भी है। यूपीआई के मौजूदा स्तर से 10 गुना बढऩे की संभावना है। ऐसे में संकेंद्रण के जोखिम से बचाव होना चाहिए। व्हाट्सऐप के प्रवेश से बड़ा बदलाव होगा, लेकिन इसके लिए 30 प्रतिशत की सीमा भी अहम है। साथ ही फोन पे और गूगल पे को अपनी हिस्सेदारी 2 साल की अवधि में धीरे धीरे कम करनी होगी, जिनकी हिस्सेदारी इस समय 30 प्रतिशत से ज्यादा है।’  
उद्योग से जुड़े कारोबारियों कने सुझाव दिया है कि यूपीआई में एकाधिकार नहीं ोहना चाहिए, लेकिन कोई कड़ी सीमा तय करना बेहतरीन तरीका नहीं है। प्रभुत्व को रोकने के लिए 30 प्रतिशत की सीमा तय कर देना कोई बेहतर उपाय नहीं है। इसकी वजह से प्रतिस्पर्धा कम होगी।
गूगल पे के बिजनेस हेड साजिथ शिवनंदन ने कहा, ‘यह घोषणा चौंकाने वाली है और इसका असर लाखों उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जो अपने रोजमर्रा के भुगतान में यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं और इससे यूपीआई की स्वीकार्यता पर असर पड़ सकता है। साथ ही इससे वित्तीय समावेशन का आखिरी मकसद प्रभावित हो सकता है।’
एनपीसीआई के पूर्व प्रबंध निदेशक एपी होता ने कहा कि यह स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा कि प्रमुख कारोबारी ग्राहकों की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और अपने ग्राहक आधार बनाने में जुटे हुए हैं, उन्हें नियंत्रण में लाए जाने की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि इसमें यह भी प्रावधान डाला जाना चाहिए कि बड़े कारोबारी ग्राहकों की शिकायतों, धोखाधड़ी के मामलों और लंबित मामलों का खुलासा करें।
लेन देन की हिस्सेदारी सीमित करने के इस कदम को यूपीआई पर व्हाट्सऐप के मल्टीबैंक मॉडल लेकर आने के संदर्भ में भी देखा जा रहा है। व्हाट्सऐप भारत के 5 प्रमुख बैंकों आईसीआईसीआी बैंक, एचडीएफसी बैंक, ऐक्सिस बैंक और भारतीय स्टेट बैंक व जियो पेमेंट्स बैंक से साथ काम करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में व्हाट्सऐप के उतरने से इन थर्ड पार्टी ऐप के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। भारत पे के सह संस्थापक और सीईओ अशनीर ग्रोवर ने कहा, ‘एनपीसीआी यह सुनिश्चित करने की कवायद कर रहा है कि व्हाट्सऐप यूपीआई बाजार का बहुलांश हिस्सा न ले जाए। ऐसे में मेरा माना है कि 30 प्रतिशत की सीमा लगाकर एनपीसीआई यूपीआई स्पेस में व्हाट्सऐप के प्रवेश को ढीला कर रहा है, जिससे उसे भी जगह मिल जाए और रातोंरात वह सबसे बड़ा कारोबारी न बन पाए।’ उन्होंने कहा कि इसके साथ ही मौजूदा सेवा प्रदाताओं जैसे पेटीएम, गूगल पे और फोन पे को कुछ राहत दी गई है, जिससे उनका कारोबार रातोंरात नए कारोबारी के पास न जाए, जिसके पास संभवत: भारत में सबसे बड़ा ग्राहक आधार है।

First Published - November 7, 2020 | 12:55 AM IST

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