facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

चार राज्यों पर महंगाई की सर्वाधिक मार

Last Updated- December 14, 2022 | 8:54 PM IST

अक्टूबर महीने में चार राज्यों आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को वस्तुओं की कीमतों में सर्वाधिक वृद्घि का सामना करना पड़ा है। इनमें से प्रत्येक राज्य में उस महीने खुदरा महंगाई दो अंक में रही जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 7.61 फीसदी था। 7.61 फीसदी का स्तर छह वर्ष में सर्वाधिक है।
अक्टूबर में राष्ट्रीय स्तर पर महंगाई दर जनवरी के 7.59 फीसदी से थोड़ी ही अधिक रही। हालांकि तब किसी भी राज्य में महंगाई दर दो अंक में नहीं थी। दूसरे शब्दों में कहें तो अक्टूबर के मुकाबले जनवरी में महंगाई दर राज्यों में अधिक समान दर पर रही थी। केवल सितंबर में पश्चिम बंगाल में महंगाई दर दो अंक में रही थी। उक्त सभी राज्यों में अक्टूबर महीने में ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 10 फीसदी से अधिक रही थी। यहां तक कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में भी महंगाई दर 10.19 फीसदी रही थी लेकिन शहरी इलाकों में यह 7.01 फीसदी थी। इस तरह राज्य में महंगाई दर 8.95 फीसदी रही।
बिहार के अलावा इन राज्यों में केवल पश्चिम बंगाल के शहरी क्षेत्रों में महंगाई दर दो अंक में रही। बिहार में कुल मिलाकर महंगाई 9.76 फीसदी रही जो दो अंक के काफी नजदीक है।        
ओडिशा और छत्तीसगढ़ के भी ग्रामीण और शहरी इलाकों की महंगाई दर में काफी अंतर पाया गया था। ओडिशा के गांवों में जहां वस्तुओं के दाम में 11.3 फीसदी की वृद्घि हुई वहीं शहरों और कस्बों में महंगाई दर 7.61 फीसदी रही थी। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 10.19 फीसदी रही जबकि शहरी इलाकों में यह 7.01 फीसदी रही। बिहार के अलावा, असम में भी महंगाई दर 9 फीसदी से ऊपर और 10 फीसदी से कम 9.26 फीसदी रही।
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन के विस्तार की अवधि में अंतर, शहरी ओर ग्रामीण श्रमिकों की उपलब्धता में अंतर के साथ साथ आर्थिक सुधार की गति में अंतर से कुछ राज्यों में महंगाई दर उच्च रही है।’      
अधिकांश राज्यों में महंगाई दर रिजर्व बैंक की 6 फीसदी की सीमा से ऊपर रही। केवल दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब में महंगाई दर 6 फीसदी से नीचे रही।   
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने राष्ट्रीय स्तर पर महंगाई दर को 2 से 6 फीसदी की सीमा के भीतर रखने की बात कही है।
अक्टूबर लगातार पांचवा महीना रहा जब महंगाई दर रिजर्व बैंक की सामान्य दर से ऊपर रही। यदि अप्रैल और मई की आरोपित महंगाई दरों को भी शामिल कर लिया जाए तो, अक्टूबर लगातार सातवां ऐसा महीना रहा जब यह रिजर्व बैंक की छह फीसदी की ऊपरी सीमा के पार चला गया।रिजर्व बैंक लगातार तीन तिमाहियों में औसत महंगाई दर को 2 से 6 फीसदी के दायरे में रखने में नाकाम रहा। मौद्रिक नीति तंत्र के मुताबिक इसे रिजर्व बैंक की नाकामी मानी जाएगी और उसे इसको लेकर सरकार को स्पष्टीकरण देना होगा।
यदि अप्रैल और मई की आरोपित महंगाई दरों को भी गिना जाए तो रिजर्व बैंक सितंबर में भी इसे अपने दायरे के भीतर रखने में विफल रहा है। हालांकि वह अप्रैल और मई की महंगाई को नहीं मानता है क्योंकि उस महीने के आंकड़े अनुमान पर आधारित थे।
अप्रैल और मई में लॉकडाउन के प्रभावी होने से जिन वस्तुओं के भाव पता नहीं चला था उनकी कीमत समान खंड की वस्तुओं के आधार पर निर्धारित की गई थी।           
एक ओर जहां बाजार इस बात की उम्मीद कर रहा है कि देश में महंगाई दर दूसरी तिमाही के 6.6 फीसदी से कम होकर चौथी तिमाही में 4.2 फीसदी पर आ जाएगी, वहीं मोतीलाल ओसवाल का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में दिसंबर और जनवरी में न्यूनतम महंगाई दर 6 फीसदी रहेगी जिसके बाद मार्च तक यह बढ़कर 6.5 फीसदी पर पहुंच जाएगी और सितंबर, 2021 तक यह 6 फीसदी पर बनी रहेगी। यदि मुख्य महंगाई दर मोतीलाल के अनुमान के करीब रहने वाली है तो धारणा में बड़ी तेजी से बदलाव आ सकता है और जल्दी ही यह चिंता का कारण बन सकती है। 

First Published - November 24, 2020 | 11:41 PM IST

संबंधित पोस्ट