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6 प्रतिशत से अधिक रहेगी महंगाई!

Last Updated- December 11, 2022 | 8:32 PM IST

तेल और जिंसों के अधिक दामों की वजह से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दर अप्रैल तक शायद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के दायरे से नीचे न जाए। यह आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को मुद्रास्फीति के लिए अपने अनुमानों में इजाफा करने के लिए प्रेरित कर सकती है, लेकिन यह शायद तब भी नीति दर पर अपने रुख में बदल न करे, क्योंकि मुद्रास्फीति का दबाव जिंसों के अधिक दामोंं से पड़ रहा है।
तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने शुक्रवार को तीसरे दिन पेट्रोल और डीजल के दामों में 80 पैसे तक की और बढ़ोतरी कर दी है। उन्होंने मंगलवार और बुधवार को भी दामों में बढ़ोतरी की थी। तेल विपणन कंपनियोंं ने चार महानगरों – दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में पेट्रोल की कीमतों में 2.27 रुपये से 2.53 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है, जबकि डीजल के दामों में तीन दिन में 2.28 रुपये से 2.56 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ है।
अलबत्ता मुद्रास्फीति दर की गणना करने के लिए कीमतों में सालाना आधार पर अंतर को ध्यान में रखा जाता है। शुक्रवार को सालाना आधार पर दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें लगभग आठ प्रतिशत तक और कोलकाता में करीब 18 प्रतिशत तक अधिक रहीं। इसी तरह चेन्नई में डीजल के दाम करीब नौ प्रतिशत तथा दिल्ली और कोलकाता में करीब दस प्रतिशत अधिक रहे।
सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर में मूल्य परिवर्तन की दर की गणना करने के लिए वस्तुओं का भारांश महत्त्वपूर्ण होता है। सीपीआई में पेट्रोल का भारांश 2.19 प्रतिशत है, जबकि सूचकांक में डीजल का भारांश 0.15 प्रतिशत है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जब तक तेल विपणन कंपनियों केनुकसान की भरपाई नहीं हो जाती, तब तक पेट्रोल और डीजल के दामों में क्रमबद्ध रूप से इजाफा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस नुकसान की भरपाई के लिए मोटे तौर पर 15 रुपये की जरूरत होगी। पूरी राशि अप्रैल तक वसूल की जाएगी। हमारा अनुमान है कि सीपीआई मुद्रास्फीति की दर मार्च में 6.2 प्रतिशत और अप्रैल में 6.4 प्रतिशत रहेगी। नायर ने मई और जून में सीपीआई मुद्रास्फीति की दर 5.6 प्रतिशत से 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। अगर ऐसा होता है, तो चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त के लिए मुद्रास्फीति की दर के एमपीसी के अनुमान को संशोधित करना पड़ सकता है।
एमपीसी ने फरवरी की अपनी नीतिगत समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति की दर 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, जिसमें चौथी तिमाही की दर 5.7 प्रतिशत है। वर्ष 2022 में सामान्य मॉनसून के अनुमान पर इसने वर्ष 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति की दर 4.5 प्रतिशत रहने और पहली तिमाही में 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
अगर नायर का अनुमान सही साबित होता है, तो मुद्रास्फीति की दर वर्ष 21-22 में 5.78 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.09 प्रतिशत रहेगी। नायर ने उम्मीद जताई है कि एमपीसी पहली तिमाही के लिए मुद्रास्फीति के अपने पूर्वानुमान में इजाफा करेगी।

First Published - March 25, 2022 | 11:12 PM IST

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