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घरेलू शोध एवं विकास में निवेश से मिलेगी नवोन्मेष की राह

Last Updated- December 12, 2022 | 9:02 AM IST

अनुसंधान एवं विकास में निवेश को बढ़ावा देना भारत के लिए सकल घरेलू उत्पाद के मामले में वैश्विक स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने के लिए अहम होगा और इसकी कुंजी निजी क्षेत्र द्वारा निवेश में वृद्धि करने में निहित होगी। शोध एवं विकास के लिए यह बात आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में कही गई है।
सर्वे में कहा गया, ‘केवल ‘जुगाड़ नवोन्मेष’ पर निर्भरता ने भविष्य में हमारे रास्ते में नए बदलावों का महत्त्वपूर्ण अवसर खो दिया। इसके लिए कारोबारी क्षेत्र द्वारा अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और भारतीय कंपनियों को कुल पेटेंट में अपना हिस्सा बढ़ाकर हमारी स्थिति के अनुरूप बनाना चाहिए। भारत को नवाचार युक्त अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए संस्थानों एवं व्यवसायिक मजबूती पर भी ध्यान देना चाहिए।’
यद्यपि भारत साल 2020 में 131 देशों में नवोन्मेष के मामले में 48 वें स्थान पर रहा, जो साल 2015 में वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) के 81वें पायदान से एक बड़ी छलांग थी। सर्वेक्षण कहता है कि आरऐंडी क्षेत्र में सरकार काफी अधिक खर्च कर रही है और अब कारोबारियों को भी इस क्षेत्र में अधिक योगदान करना चाहिए।
 आरऐंडडी पर भारत का सकल व्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.65 प्रतिशत है, जो शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं द्वारा जीडीपी के 1.5-3 प्रतिशत खर्च की तुलना में काफी कम है।
आरऐंडडी पर सकल घरेलू व्यय (जीईआरडी) में भारत सरकार के काफी अधिक योगदान के बावजूद यह कम बना हुआ है। सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया, ‘भारत के कारोबारी क्षेत्र को इस समय आगे आने की जरूरत है और आरऐंडडी पर अपने सकल व्यय को बढ़ाना चाहिए। इसके लिए कारोबारी क्षेत्र के जीईआरडी योगदान को वर्तमान के 37 फीसदी से बढ़ाकर 68 प्रतिशत के करीब करने की आवश्यकता है, जो अन्य शीर्ष दस अर्थव्यवस्थाओं में कारोबारी क्षेत्रों द्वारा जीईआरडी में योगदान का औसत है। भारतीय अनुसंधान क्षेत्र के कुल आरऐंडडी कर्मियों तथा शोधकर्ताओं के योगदान को भी क्रमश: 30 प्रतिशत एवं 34 प्रतिशत से बढ़ाकर शीर्ष दस अर्थव्यवस्थाओं के औसत स्तर (क्रमश: 58 प्रतिशत एवं 53 प्रतिशत) तक लाना चाहिए।’
सर्वेक्षण ने भारत की चीन से तुलना की, जिसमें साल 2006 में नवाचार नेतृत्त्व वाली अर्थव्यवस्था बनने के लिए ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के लिए मध्यम से दीर्घकालिक योजना (एमएलपी) ‘ के लिए 15 वर्षीय योजना बनाई थी। भारत ने नवाचार इनपुट, रचनात्मक आउटपुट, ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आउटपुट, हेडकाउंट, बुनियादी ढांचे, बाजार, व्यवसाय और दूसरे संकेतकों में सकारात्मक प्रदर्शन किया है लेकिन भारत अभी भी अनिवासियों की तुलना में निवासी भारतीयों द्वारा दायर पेटेंट आवेदनों में पीछे है।
कुल पेटेंट आवेदनों में भारतीय निवासियों की हिस्सेदारी 36 प्रतिशत रही, जबकि अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का औसत 62 प्रतिशत रहा।  
सर्वेक्षण में कहा गया, ‘भारत को संस्थानों एवं व्यावसायिक नवाचार आदानों पर अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इनसे नवाचार उत्पादन में उच्च सुधार की उम्मीद बनती है।’ हालांकि सर्वेक्षण में भारत के स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम को देश में बढ़ते नवाचार का एक अहम हिस्सा बताया गया लेकिन यह भी कहा कि पिछले साल अप्रैल-अक्टूबर के बीच 1,000 से अधिक आवेदन प्राप्त होने के बाद भी किसी भी स्टार्टअप को कोई पेटेंट नहीं दिया गया।

First Published - January 29, 2021 | 11:44 PM IST

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