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निजी क्षेत्र को लय पकडऩे में लगेगा वक्त

Last Updated- December 12, 2022 | 1:41 AM IST

विशेषज्ञों का कहना है निजी क्षेत्र के द्वारा व्यापक स्तर पर पूंजीगत व्यय के लिए कम से कम चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के आरंभ तक इंतजार करना पड़ सकता है। जबकि कुछ बड़े कॉर्पोरेशन पहले ही विस्तार योजनाओं की घोषणा कर चुके हैं। इन घोषणाओं में वेदांत की ओर से अपनी क्षमता को दोगुना करने के लिए 20 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा, रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा रीन्युएबल एनर्जी में 10 अबर डॉलर का निवेश और पेट्रोरसायन क्षेत्रों में निवेश करने की अदाणी समूह की योजनाएं शामिल हैं। टाटा समूह ने भी सेमीकंडक्टर (अद्र्घचालक) विनिर्माण की एक नई इकाई में निवेश की घोषणा की है जिसके बारे में कंपनी ने अधिक ब्योरा नहीं दिया है। वहीं आईटीसी ने गुरुवार को कहा कि वह क्षमता बढ़ाने के लिए मध्यावधि में 2 अरब डॉलर का निवेश करेगी।       
वेंदात का लक्ष्य चांदी के उत्पादन को दोगुना करना है जो न केवल एक बहुमूल्य धातु है बल्कि इसका इस्तेमाल उच्च तकनीक वाले उद्योगों और अक्षय ऊर्जा में होता है। वेदांत रिसोर्सेज के संस्थापक और चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा है कि कंपनी की इच्छा इस्पात की क्षमता को दोगुना करने की है। इस्पात वेदांत के कारोबार का अहम हिस्सा है। हालांकि इन सभी निवेशों के लिए अभी इंतजार करना होगा।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2021 की चौथी तिमाही में क्षमता उपयोगिता एक वर्ष पहले के स्तर से मामूली पीछे रही थी। ऐसा इसलिए हुआ कि कोविड-19 की दूसरी लहर ने घरेलू मांग को धीमा कर दिया और कारोबार की धारणा भी वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में और अधिक खराब हुई। ये सारी परिस्थितियां पूंजीगत व्यय में तुरंत उछाल लाने के लिए अनुकूल नहीं हैं।’ उन्होंने कहा कि कुछ निश्चित क्षेत्रों में क्षमताएं पहले से ही बढ़ाई जा रही हैं क्योंकि उन्हें पीएलआई (उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन) के तहत लक्ष्य मिला हुआ है।
नायर ने कहा, ‘देर से ही सुधार के लिए हमें जोखिम लेने के बड़े साहस की उम्मीद नजर आती है खासकर तब जबकि घरेलू और निर्यात मांग के बने रहने के पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं। चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही या उसके बाद व्यापक आधार पर क्षमता विस्तार की उम्मीद नजर आती है।’
बार्कलेज में भारत के लिए मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया ने कहा विगत कुछ वर्षों में निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में कमी की भरपाई निरंतर रूप से सरकारी पूंजीगत व्यय से हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा मोटे तौर कम क्षमता उपयोगिता और ऋण बोझ में कमी लाने के कारण से हो रहा है। यह प्रवृत्ति अब समाप्ति पर है। हमें वित्त वर्ष 2023 में निवेश वृद्घि में जबरदस्त सुधार आने की उम्मीद है।’ बैंकरों कहा कहना है कि यह बहुवर्षीय पूंजीगत व्यय चक्र का शीर्ष समय है जैसा कि वित्त वर्ष 2003 से वित्त वर्ष 2012 तक देखा गया था। अब अगले दो वर्ष में सरकार 355 अरब डॉलर का ऑर्डर देने जा रही है जिससे काफी उम्मीदे हैं। पिछले दो वर्ष से भारतीय कंपनियां अपने ऊपर ऋण बोझ में कमी लाने में जुटी थीं और उन्होंने अपने वित्तीय लागत में काफी कटौती की है। अब वे विस्तार के लिए विचार कर रही हैं।       
आईडीबीआई बैंक के उप प्रबंध निदेशक सैमुअल जोसेफ ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2022 की दूसरी छमाही से निवेश चक्र के गति पकडऩे की उम्मीद है। कई सारी परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं जो देश और दुनिया भर में कारोबार और आर्थिक माहौल में स्पष्टता आने का इंतजार कर रही हैं क्योंकि इनका बड़ा हिस्सा निर्यातों से जुड़ा है।’ बोफा ग्लोबल रिसर्च के विश्लेषकों का कहना है कि भारत की सरकार बड़े एकाधिकार वाले क्षेत्रों को खोल रही है इसके कारण से भी वित्त वर्ष 2024 से इनमें निजी निवेश आने की शुरुआत हो जाएगी।

First Published - August 24, 2021 | 12:52 AM IST

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