वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) क्षतिपूर्ति में कमी को पूरा करने के लिए केंद्र की तरफ से रखे गए संशोधित प्रस्ताव पर विपक्ष दलों द्वारा शासित राज्य एकजुट हैं। झारखंड ने जीएसटी में कमी के एक हिस्से 1.1 लाख करोड़ रुपये की उधारी लेने और राज्यों को ऋण देने का केंद्र का प्रस्ताव खारिज कर दिया है। वहीं, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर आग्रह किया कि केंद्र को इसके बजाय 1.83 लाख करोड़ रुपये की राशि उधार लेनी चाहिए। अन्य कई राज्यों के भी सोमवार को सीतारमण को पत्र लिखने के आसार हैं।
विजयन ने अपने पत्र में लिखा, ‘मेरा आग्रह है कि विशेष सुविधा के तहत सुझाई गई 1.10 करोड़ रुपये की सीमा बढ़ाकर 1.83 लाख करोड़ रुपये की जाए।’
केरल ने इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय जाने का इरादा त्याग दिया है, लेकिन वह उधारी की मात्रा और विवाद निपटान संस्था की स्थापना के लंबित मुद्दे पर सीतारमण के साथ बातचीत करना चाहता है। केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने कहा, ‘हमने इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय नहीं जाने का फैसला किया है क्योंकि केंद्र ने इस मुद्दे का समाधान कर दिया है कि कौन उधार लेगा। लेकिन कुछ पेचीदा मुद्दे बचे हुए हैं, जैसे केंद्र को कितनी राशि उधारी लेनी चाहिए। केंद्र को 1.1 लाख करोड़ रुपये के बजाय 1.83 लाख करोड़ रुपये उधार लेकर राज्यों को देने चाहिए क्योंकि इससे केंद्र के राजकोषीय घाटे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’
उन्होंने कहा कि अगर राज्यों का बकाया हर्जाना जून, 2022 के बाद चुकाया जाएगा तो परिषद को उस पर फैसला लेना चाहिए क्योंकि अभी तक केवल उपकर को ही पांच साल से आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा, ‘अगर कोई सहमति नहीं बनती है तो हमें एक विवाद निपटान व्यवस्था बनानी चाहिए। मुझे उम्मीद है कि केंद्रीय वित्त मंत्री इस पर चर्चा करेंगी और निष्कर्ष पर पहुंचेगी।’
जीएसटी परिषद में छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि टी एस सिंह देव ने कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लेने से पहले समान विचारधारा वाले राज्य चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा, ‘मुद्दा यह है कि केंद्र ने इस साल के छह महीने के जीएसटी हर्जाने के बकाया के भुगतान की बात कही है। उसे शालीनता से यह स्वीकार करना चाहिए कि इस साल का जितना भी बकाया होगा, वह उधारी के जरिये राज्यों को भुगतान करेगा। हर्जाने में कमी का अनुमान अनौचपारिक तरीके से नहीं हो सकता, पहले 10 फीसदी और फिर सात फीसदी वृद्धि दर का अनुमान जताना। समान विचारधारा वाले राज्य एक साथ बैठकर आगे के कदम का फैसला करेंगे।’
इस बीच झारखंड ने केंद्र का प्रस्ताव खारिज कर दिया है। राज्य इस बात के खिलाफ है कि जीएसटी में 1.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की जो कमी रहेगी, उसकी भरपाई राज्य खुद उधारी लेकर करेंगे।
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने केंद्रीय बिजली उत्पादक कंपनी दामोदर वैली कॉरपोरेशन के बकाये के भुगतान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के पास राज्यों के सकल स्रोत से पहली किस्त के रूप में 1,417.50 करोड़ रुपये स्वत: ही काट लिए। इसके बाद झारखंड का यह रुख सामने आया है। झारखंड के मुताबिक इस समय केंद्र पर राज्य के करीब 3,300 करोड़ रुपये बकाया हैं। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम ने कहा कि अब राज्य केंद्र से कह रहे हैं कि उसने 1.10 लाख करोड़ रुपये क लिए जो नियम बनाए हैं, वे 1.06 लाख करोड़ रुपये के लिए भी दिए जाने चाहिए। पश्चिम बंगाल केंद्र के प्रस्ताव का अध्ययन कर रहा है। पुदुच्चेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि केंद्र को 1.10 लाख करोड़ रुपये नहीं बल्कि 2.35 लाख करोड़ रुपये की पूरी राशि उधार लेनी चाहिए और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को देनी चाहिए।