भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने आज उम्मीद जताई कि आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बाहरी झटकों के कारण अर्थव्यवस्था 23.9 प्रतिशत संकुचित हुई है और आगे इसमें सुधार होगा।
सकल घरेलू (जीडीपी) के आंकड़े जारी होने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए सुब्रमण्यन ने कहा, ‘अप्रैल से जून तिमाही का आर्थिक प्रदर्शन बाहरी झटकों की वजह से प्रभावित हुआ है, जिसका असर पूरी दुनिया में देखा जा रहा है। कोविड महामारी की वजह से अप्रैल से जून तिमाही में वैश्विक लॉकडाउन रहा। यहां तक कि भारत में भी पहली तिमाही में लॉकडाउन रहा है। यह आंकड़े मुख्य रूप से उसकी वजह से आए हैं।’
सुब्रमण्यन ने कहा कि महत्त्वपूर्ण बात यह है कि भारत में अनलॉक की घोषणा के बाद तेज रिकवरी नजर आ रही है। उन्होंने कहा, ‘भारत में निश्चित रूप से वी आकार की रिकवरी देखी जा रही है। इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाली तिमाहियों में प्रदर्शन बेहतर रहेगा।’
उन्होंने कहा कि प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन उम्मीद बढ़ा रहा हैं, जिसमें अप्रैल महीने में 38 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन मई में गिरावट की दर घटकर 22 प्रतिशत, जून में 13 प्रतिशत और जुलाई में 9.6 प्रतिशत रह गई है।
उन्होंने कहा, ‘इस तरह से प्रमुख क्षेत्र के उत्पादन से साफतौर पर वी आकार की रिकवरी के संकेत मिल रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि रेलवे माल ढुलाई आर्थिक गतिविधि की बेहतर संकेतक है। यह पिछले साल के समान महीने के 95 प्रतिशत पर रही है। इसके अलावा अगस्त के पहले 26 दिन में पिछले साल के समान दिनोंं की तुलना में यह 6 प्रतिशत ज्यादा थी।
साथ ही बिजली की खपत पिछले साल की तुलना में महज 1.9 प्रतिशत कम रही है।
अगस्त महीने में ईवे बिल पिछले साल अगस्त की तुलना में करीब बराबर 99.8 प्रतिशत रहा है। उन्होंने कहा, ‘यह कुछ लॉकडाउन की वजह से रहा। ईवे बिल एक राज्य से दूसरे राज्य में कारोबार पर लगता है, जो स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुआ है। कुल मिलाकर साफतौर पर वी आकार की रिकवरी नजर आ रही है।’
उन्होंने कहा कि एक उल्लेखनीय बात यह है कि लॉकडाउन के बावजूद कृषि क्षेत्र में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि यह सरकार द्वारा घोषित कुछ सुधारों के असर को दिखाता है, जो कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) और आवश्यक जिंस अधिनियम आदि में संशोधन की वजह से हुआ है।
यह महंगाई दर में भी नजर आ रहा है और अब शहरी महंगाई दर से ज्यादा ग्रामीण महंगाई दर है क्योंकि गांवों में मांग बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि जीडीपी में गिरावट लॉकडाउन के कारण अपेक्षित थी और यह दुनिया भर में हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के वैश्विक आर्थिक परिदृश्य का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ देशोंं में प्रति व्यक्ति जीडीपी में गिरावट 1870 के बाद सबसे ज्यादा है। सुब्रमण्यन ने कहा, ‘भारत में भी पूरे अप्रैल से जून तिमाही में लॉकडाउन था। इस दौरान ज्यादातर आर्थिक गतिविधियां प्रतिबंधित थीं। ऐसे में यह आंकड़े उम्मीद के मुताबिक ही हैं।’
ब्रिटेन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उसकी अर्थव्यवस्था का आकार भारत के बराबर है, जहां अप्रैल जून तिमाही में आर्थिक संकुचन 22 प्रतिशत रहा है, जबकि वहां कुछ कम कड़ा लॉकडाउन था। उन्होंने कहा कि अगर आप ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी इंडेक्स का इस्तेमाल करें तो भारत का लॉकडाउन ब्रिटेन की तुलना मेंं 15 प्रतिशत ज्यादा सख्त था।