facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

ठेका श्रमिकों पर कोविड-19 की ज्यादा मार

Last Updated- December 14, 2022 | 11:27 PM IST

वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान देश के तकरीबन 90 प्रतिशत गिग वर्कर्स (ठेके पर रखे जाने वाले अस्थायी श्रमिक) को अपनी आमदनी से हाथ धोना पड़ा है। दक्षिण एशिया में निवेश वाले वैश्विक वित्तीय प्रौद्योगिकी उद्यम कैपिटल फंड फ्लरिश वेंचर्स के एक सर्वेक्षण में यह जानकारी मिली है।
इस वैश्विक महामारी से पहले ये श्रमिक आम तौर पर औसत से अधिक कमाई किया करते थे, लेकिन सर्वेक्षण में शामिल एक-तिहाई से अधिक श्रमिकों को अगस्त तक प्रति माह 5,000 रुपये (करीब 68 डॉलर) से भी कम कमाई हो रही थी। इस शोध में उनकी आर्थिक सुरक्षा में सुधार और वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्तीय प्रौद्योगिकी की संभावना पर भी प्रकाश डाला गया है।
फ्लरिश  के प्रबंध साझेदार टिलमैन एर्बेक ने कहा कि गिग वर्कर्स को नुकसान पहुंच रहा है, क्योंकि भारत में कोविड-19 का संकट बना हुआ है। भले ही उनके पास निजी बचत या सरकारी मदद के रूप में आर्थिक सहारा ही क्यों न हो। इस शोध से पता चलता है कि अधिकांश श्रमिक अपने आर्थिक भविष्य के संबंध में चिंतित हैं। फ्लरिश  में हमें इस बात की उम्मीद है कि गिग अर्थव्यवस्था को सक्षम बनाने वाला यह डिजिटल प्लेटफॉर्म ही श्रमिकों को इस संकट में और इसके बाद सुरक्षा के लिए आय के नए स्रोतों और बेहतर आर्थिक साधनों से जोड़ सकता है। इस सर्वेक्षण का आयोजन अगस्त 2020 में किया गया था। उस समय देश भर में कोविड-19 के मामले बढ़ रहे थे। इस सर्वेक्षण में डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने वाले 770 राइडशेयरिंग ड्राइवरों, घरेलू सफाईकर्मियों और डिलिवरी का काम करने वाले कर्मचारियों को शामिल किया गया था।
सर्वेक्षण से पता चलता है कि लॉकडाउन के बाद से आय में गिरावट आई है। जहां एक और अधिकांश भारतीय गिग वर्कर्स इस वैश्विक महामारी से पहले प्रति महीना 25,000 रुपये (करीब 340 डॉलर) से अधिक कमा रहे थे, वहीं दूसरी ओर अगस्त तक 10 में लगभग नौ व्यक्ति प्रति महीना 15,000 रुपये (करीब 200 डॉलर) से कम कमा पा रहे थे। एक-तिहाई से भी अधिक गिग वर्कर्स प्रति दिन इससे भी कई गुना कम (करीब 2.3 डॉलर) कमाई कर पा रहे थे।

First Published - September 30, 2020 | 11:00 PM IST

संबंधित पोस्ट