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सूक्ष्म वित्त प्रदाताओं ने की क्रेडिट गारंटी योजना बढ़ाए जाने की मांग

Last Updated- December 11, 2022 | 10:23 PM IST

सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) ने 15,000 करोड़ रुपये आवंटन के साथ क्रेडिट गारंटी योजना वित्त वर्ष 22-23 तक के लिए बढ़ाए जाने की मांग की है। सा-धन एमएफआई का स्वनियामकीय निकाय है, जिसके माध्यम से यह मांग की गई है। एमएफआई ने कहा है कि इसमें कम से कम 75 प्रतिशत राशि लघु एवं मझोले एमएफआई के लिए आरक्षित होना चाहिए। 
यह आगामी केंद्रीय बजट के पहले वित्त मंत्री से बजट पूर्व मांग का हिस्सा है। वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 22) में एमएफआई के लिए महामारी से आर्थिक राहत पैकेज के तहत 7,500 करोड़ रुपये क्रेडिट गारंटी योजना की घोषणा की थी। 

सरकार के इस समर्थन से महामारी के दौरान एमएफआई क्षेत्र को मदद मिली वहीं यह क्षेत्र अभी भी धन की कमी संबंधी चुनौतियों से जूझ रहा है। सा-धन के कार्यकारी निदेशक पी सतीश ने कहा, ‘यह सेक्टर अभी भी कुछ चुनौतियों से घिरा है, खासकर उच्च कर्ज लागत के मामले में। इस क्षेत्र को कम लागत पर दीर्घावधि फंड मुहैया कराए जाने की जरूरत है।’ 
महामारी के कारण इस क्षेत्र का नया निवेश आकर्षित करने की क्षमता प्रभावित हुई है, ऐसे में यह भी मांग की गई है कि एमएफआई सेक्टर को सबार्डिनेटेट ऋण के माध्यम से मदद की जानी चाहिए, जिनकी अवधि 5 से 7 साल हो। 

इसके अलावा स्वनियामकीय संगठन ने वित्त मंत्री से भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को एमएफआई को कर्ज मुहैया कराने के लिए 5 साल का करमुक्त सोशल बांड जारी करने की अनुमति देने की भी मांग की गई है, जो कस्बों व ग्रामीण इलाकों में काम कर रहे हैं।  
सा-धन ने कहा है कि सोशल बॉन्ड वित्तीय पहल के हिसाब से बहुत अहम होंगे। इसने यह भी मांग की है कि नाबार्ड द्वारा 1,000 करोड़ रुपये का सूक्ष्म वित्त विकास कोष का गठन किया जाना चाहिए, जिससे नॉट फॉर प्रॉफिट एमएफआई को मदद की जा सके और इन्हें अनुदान के साथ रिवॉल्विंग फंड या रिफाइनैंस समर्थन मिल सके।

First Published - January 5, 2022 | 11:42 PM IST

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