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कारोबार जगत की आलोचना के बाद जीएसटी नियम के बचाव में मंत्रालय

Last Updated- December 12, 2022 | 10:23 AM IST

वित्त मंत्रालय ने एक निश्चित सीमा के ऊपर कारोबार करने वाली कंपनियों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में कर देनदारी का कम से कम 1 प्रतिशत नकद भुगतान का प्रावधान करने के फैसले का बचाव किया है।  वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने आज कहा कि इसका असर सिर्फ जोखिम वाले या रातोंरात भाग जाने वाले ऑपरेटरों पर पड़ेगा। इसके पहले कारोबारियों के एक वर्ग ने नए नियमों को गलत बताते हुए इसकी आलोचना की थी। उनका कहना था कि यह नियम सिर्फ 40,000-45,000 करदाताओं पर लागू होगा, जिनकी कुल जीएसटी आधार में हिस्सेदारी महज 0.37 प्रतिशत है। 
 
पिछले सप्ताह केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने केंद्रीय जीएसटी अधिनियम में एक नियम डाला था, जिसके मुताबिक 50 लाख से ऊपर मासिक कारोबार करने वालों को अपनी जीएसटी देनदारी का 1 प्रतिशत नकद भुगतान को कहा गया था। यह नियम 1 जनवरी से प्रभावी होगा।  इस नियम पर प्रतिक्रिया देते हुए कारोबारियों के संगठन कैट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इसे लागू न करने का अनुरोध किया था।  इस मामले से जुड़े वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि नया प्रावधान उन पर लागू होता है, जिनका सालाना कारोबार 6 करोड़ रुपये से ऊपर है और उन्हें बड़े पैमाने पर छूट एवं दायरे से बाहर रहने की सुविधा मुहैया कराई गई है। 
 
उदाहरण के लिए उन्होंने कहा कि यह नियम उन मामलों में लागू नहीं होगा, जहां पंजीकृत व्यक्ति ने पिछले 2 साल के दौरान हर साल 1 लाख रुपये से ज्यादा आयकर जमा किया है। साथ ही अगर पंजीकृत व्यक्ति ने निर्यात के मद में या इनवर्टेड कर ढांचे में पहले के वर्ष में 1 लाख रुपये से ज्यादा रिफंड प्राप्त किया है तो वह इस नियम के दायरे में नहीं आएगा।   इसके अलावा यह नियम सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और स्थानीय प्राधिकारियों पर लागू नहीं होगा। साथ ही एमएसएमई और कंपोजिशन डीलरों सहित सभी छोटे कारोबारों को इस नियम से बाहर रखा गया है। सूत्रों ने कहा कि तमाम लोगों को बाहर रखे जाने के बाद यह नियम महज 40,000 से 45,000 करदाताओं पर लागू होगा और यह कुल 1.02 करोड़ वस्तु एवं सेवा कर दाताओं में महज 0.37 प्रतिशत हैं। 
 
यह नियम लाए जाने के बारे में स्पष्ट करते हुए एक उच्च स्तरीय सूत्र ने कहा कि उनसे मुनाफे के लिए कानूनी तरीके से कारोबार चलाने और न्यूनतम मूल्यवर्धन की उम्मीद की जाती है। अगर सिर्फ तमाम फर्जी क्रेडिट का इस्तेमाल हगा तो नकदी में किसी कर का भुगतान नहीं होगा।  इसके अलावा डमी कंपनियां फर्जी आईटीसी सृजित करती हैं और इनका इस्तेमाल विभिन्न चरणों में एक चरण के रूप में फर्जी धन निकासी के लिए किया जाता है, जिन मामलों में नकदी में किसी कर का भुगतान नहींं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘यह प्रावधान धोखाधड़ी करने वालों के लिए बहुत स्मार्ट नियम है और यह किसी सही कारोबारी इकाई या कारोबार सुगमता को किसी तरीके से प्रभावित नहीं करेंगे।’ 
 
सूत्रों ने कहा कि सिर्फ फर्जी रसीदों और आईटीसी में धोखाधड़ी को रोकने के लिए हाल की अधिसूचना में उठाए गए कदम बहुत सावधानीपूर्वक तैयार किए गए हैं और जीएसटी परिषद की कानून समिति के साथ चर्चा के बाद एक महीने से ज्यादा समय में बने हैं। उन्होंने कहा कि इसका मकदस सिर्फ फर्जी रसीद और आईटीसी धोखाधड़ी को चिहिन्त कर उस पर नियंत्रण करना है।  इसकी गंभीरता का इस बात से भी पता चलता है कि हाल ही में जीएसटी व्यवस्था में फर्जी रसीद प्रस्तुत किए जाने को लेकर देशव्यापी अभियान चलाया गया था। इसे नवंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू किया गया और यह अभी भी चल रहा है। अभियान के तहत धोखाधड़ी करने वाले 175 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है और महज 40-45 दिन में ही 8,000 से ज्यादा फर्जी इकाइयों के खिलाफ 1,800 मामले दर्ज कराए गए हैं। 

First Published - December 27, 2020 | 9:11 PM IST

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