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माध्यमिक शिक्षा में भी आंकड़ों का गड़बड़झाला

Last Updated- December 05, 2022 | 4:31 PM IST

इस बजट में पिछले दो सालों से माध्यमिक शिक्षा पर लगाए गए एक प्रतिशत अधिभार का कहीं अता-पता नहीं चल रहा है। वित्तीय वर्ष 2007-08 और हाल में पेश किए गए बजट 2008-09 में भी इसका कुछ पता नहीं चल रहा है।


वहीं प्राथमिक शिक्षा पर लगे अधिभार का हाल भी इससे कुछ अलग नहीं है। बजट दस्तावेजों के अनुसार माध्यमिक शिक्षा अधिभार से पिछले साल(2007-08)जहां 2,210 करोड़ रुपए जमा किए गए वहीं वित्तीय साल 2008-09 में यह 2,480 करोड़ रुपए जमा होने का अनुमान है।


इस साल के बजट में माध्यमिक शिक्षा के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 5,140 करोड़ रुपए का आवंटन किया है।


 वित्त मंत्रालय केएक अधिकारी के अनुसार, इस बजट में भी इस बात का तनिक भी जिक्र नहीं हुआ है कि आखिर इस 1 फीसदी अधिभार का कहां और किस तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।


जबकि पिछला बजट भी इस बारे में मौन रहा था। पर मानव संसाधन मंत्रालय में वित्तीय सलाहकार एस.के.राय का कहना है-भले ही इस बजट मे इसकेबारे में कोई चर्चा तक नहीं हुई हो पर इसे मंत्रालय केसामने लाया जाएगा और इसका खर्च शेष राशि की ही तरह किया जाएगा।


पिछले साल माध्यमिक शिक्षा पर संशोधित आवंटन 1,472 करोड़ रुपए रहा था जबकि अधिभार से ही 2,210 करोड़ रुपए एकत्र हो गए। जाहिर है इस मद में सरकारी योगदान नगण्य है।


वास्तविकता तो यही है कि इस अधिभार के लगने से माध्यमिक शिक्षा पर खर्चने के बाद भी सरकार केकोष में बढ़ोतरी ही हो रही है। यह हमारे देश की शिक्षा केसंबंध में सरकारी नीति का एक और पहलू है।


यह बजट न केवल माध्यमिक शिक्षा अधिभार के बारे में चुप्पी साधे हुए है बल्कि दो फीसदी प्राथमिक शिक्षा अधिभार पर भी मौन है। पिछले साल के प्राथमिक शिक्षा कोष में प्राथमिक शिक्षा अधिभार से 11,128 करोड़ की राशि आयी थी।


पर विभिन्न विभागों में इससे कहीं ज्यादा 12,998 करोड़ रुपए वसूले गए। बजट में भी यह आंकड़ा भरमाने वाला है। बजट में यह 12,817 करोड रुपए बताया गया था। एक और आंकड़े बताते हैं कि  कार्पोरेशन कर ,आयात कर और उत्पाद कर से कुल 14,844 करोड़ रुपए वसूले गए।


 पर इस मुद्दे पर मंत्रालय का कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है।

First Published - March 11, 2008 | 7:20 PM IST

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