प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूंजी की कमी से जूझ रहे ढांचागत क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए नामी विदेशी फंडों से बात करेंगे। इस संबंध में प्रधानमंत्री जल्द ही एक नई पहल करने वाले हैं। इसके तहत मोदी दीर्घ अवधि की विदेशी पूंजी आकर्षित करने के लिए आवश्यक सुधारों पर चर्चा के लिए 15 अग्रणी विदेशी फंडों के साथ बातचीत करेंगे।
प्रधानमंत्री की पहल ऐसे समय में महत्त्वपूर्ण हो जाती है जब कोविड महामारी की वजह से देश में पूंजीगत व्यय में खासी कमी आई है। आर्थिक गतिविधियां सुस्त होने के बाद कंपनियां नई परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ा रही हैं। सरकार को लगता है कि विदेशी फंडों से मिलने वाली पूंजी देश में आर्थिक गतिविधियों को तेजी देने में इस्तेमाल की जा सकती है।
भारतीय उद्योग परिसंघ के एक कार्यक्रम में आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव तरुण बजाज ने कहा, ‘दुनिया भर के फंड हमारे संपर्क में हैं। वे हमसे निवेश के लिए परियोजनाएं देने के लिए कह रहे हैं और वे अपने निवेश पर अधिक प्रतिफल भी नहीं चाहते हैं। प्रधानमंत्री जल्द ही दुनिया की 15 फंड कंपनियों के साथ बातचीत करेंगे और उनके विचार जानने की कोशिश करेंगे।’
विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक सकारात्मक पहल है और मौजूदा समय में इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजित बनर्जी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘वैश्विक निवेशकों के साथ प्रधानमंत्री की चर्चा एक मजबूत संकेत है। इससे न केवल विश्वास बहाली होगी, बल्कि यह स्वयं प्रधानमंत्री के दृढ़ निश्चय की झलक देता है। भारत में मांग खासी मजबूत है, इसलिए इन वैश्विक निवेशकों को भारत में कारोबार करने में खासा आनंद आएगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि प्रतिकूल हालात के बीच भी भारत ने आर्थिक सुधार के कई कदम उठाए हैं। विदेशी निवेशकों में इनसे एक एक अच्छा संकेत गया है।’
उन्होंने कहा कि ढांचागत क्षेत्र में निवेश में दिलचस्पी की तो अपनी वजह है, लेकिन भारत में स्वास्थ्य एवं डिजिटल खंडों में भी विदेशी निवेश की खासी गुंजाइश है। बनर्जी ने कहा कि विदेशी पूंजी आकर्षित करने के लिए भारत में तमाम खूबियां मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि भारत में ब्याज दर भी इन निवेशकों के लिए माकूल है, जबकि दूसरे देशों में ऐसा नहीं है।
फंड प्रबधंक भी चीन से जुड़ी विभिन्न चिंता के कारण प्रधानमंत्री के साथ प्रस्तावित बैठक को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के चेयरमैन नीलेश शाह ने कहा, ‘जब स्वयं प्रधानमंत्री निवेशकों से मुखातिब होते हैं तो इससे यह संकेत मिलता है कि विषय को कितनी अहमियत दी जा रही है। इतना ही नहीं, इससे देश में निवेश को लेकर बाहरी निवेशकों के मन में चिंताएं भी कम जाती हैं।’
आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव बजाज ने पेंशन एवं बीमा फंडों को केंद्र में रखते हुए कहा कि दूसरे नियामकों से भी बात करना जरूरी है, क्योंकि उन्हें भी इस बाजार की मदद करने पर सोचने की जरूरत है। बजाज के अनुसार पेंशन फंड, बीमा फंडों के संबंध में नियामकीय आवश्कयताओं में बदलाव की जरूरत है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अमेरिका आदि देशों के पेंशन फंड भारत में निवेश करने में खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। बजाज ने कहा कि बस समस्या यह है कि विदेशी निवेशक अमूमन जारी होने वाले बॉन्ड से थोड़ा कुछ अलग चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस बिंदु पर काम करने और बॉन्ड का दायरा बढ़ाए जाने की जरूरत है।