मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काईमेट ने इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान जताया है। स्काईमेट ने आज कहा कि मॉनसून दीर्घ अवधि के औसत (एलपीए) का 103 प्रतिशत रहने और वर्षा सामान्य रहने की उम्मीद है। लेकिन इसमें 5 प्रतिशत कमीबेशी हो सकती है।
जून से सितंबर के दौरान एलपीए 880.6 मिलीमीटर माना गया है। इसका मतलब है कि अनुमान सही साबित हुआ तो देश में करीब 907 मिलीमीटर तक वास्तविक वर्षा हो सकती है। पिछले वर्ष देश में एलपीए की 109 प्रतिशत तक वास्तविक वर्षा हुई थी, जबकि 2019 में वर्षा एलपीए की 110 प्रतिशत रही थी। अगर वर्षा एलपीए के 96 से 104 प्रतिशत के बीच रहती है तो सामान्य मानी जाती है।
स्काईमेट के अनुसार पिछली बार सामान्य मॉनसून की तिकड़ी दो दशक से भी पहले लगी थी, जब 1996 से 1998 तक लगातार तीन साल देश में सामान्य मॉनसून रहा था। अगर मॉनसून सामान्य रहा और देश के सभी भागों में वर्षा का वितरण लगभग एक जैसा रहा तो 2021 में कृषि उपज शानदार रह सकती है। कृषि उत्पादन अच्छा रहा तो कोविड-19 महामारी के झटके झेल रही देश की अर्थव्यवस्था को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने स्काईमेट के अनुमान पर बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘मुझे लगता है कि कृषि क्षेत्र या देश की अर्थव्यवस्था पर सामान्य मॉनसून के संभावित असर का मूल्यांकन करना अभी जल्दबाजी होगी। बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि मॉनसून कब आता है, कब तक सक्रिय रहता है और वर्षा का वितरण कैसा रहता है। लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि यह अच्छा संकेत है।’
इस बीच स्काईमेट ने यह भी कहा कि 2021 में पूरे देश में वर्षा सामान्य और सामान्य से अधिक रहने के 85 प्रतिशत आसार हैं। केवल 15 प्रतिशत आशंका इस बात की है कि वर्षा सामान्य से कम रहेगी। लेकिन इस वर्ष सूखा पडऩे की आशंका नहीं के बराबर है।
एजेंसी ने कहा, ‘जून से सितंबर के दौरान पूर्वी और मध्य भारत में सामान्य वर्षा दिख सकती है, जबकि उत्तर और पश्चिमोत्तर भारत में वर्षा सामान्य से कुछ कम रहने की थोड़ी आशंका है।’
स्काईमेट ने कहा कि जून से सितंबर के दौरान अल नीनो प्रभाव नहीं दिखेगा और हिंद महासागर द्विध्रुव का भी कोई असर नहीं होगा। एजेंसी ने कहा कि अच्छी बात यह है कि भारत में मॉनसून पर इस साल अल नीनो का कोई भी असर पडऩे की आशंका नहीं है। प्रशांत महासागर के मध्य एवं पूर्वी उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान बढऩे से अल नीनो प्रभाव उत्पन्न होता है। इससे पूरी दुनिया में सामान्य मौसम पर प्रभाव पड़ता है।