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कर्ज की कमजोर वहनीयता में भारत दे रहा मात्रात्मक सुगमता : मूडीज

Last Updated- December 12, 2022 | 5:55 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मात्रात्मक सुगमता (क्यूई) संभवत: देश की बुनियादी सिद्धांतों के लिए बेहतर नहीं होगी, हालांकि रिजर्व बैंक ने 3.13 लाख करोड़ रुपये का कर्ज पिछले वित्त वर्ष में द्वितीयक बाजार से खरीदा है और पहली तिमाही में 1 लाख करोड़ रुपये की बॉन्ड खरीद की प्रतिबद्धता जताई है।
भारत उन 11 उभरते बाजारों में से है, जिन्होंने मात्रात्मक सुगमता अनुकरण किया है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आज कहा कि सार्वजनिक ऋण बहुत ज्यादा है और कर्ज की वहनीयता कमजोर है।  चिली, कोलंबिया, क्रोएशिया, घाना, हंगरी, भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की ने हाल में क्यूई का अपना संस्करण पेश किया है, जो विकसित अर्थव्यवस्थाओं के विपरीत है। लेकिन इन अर्थव्यवस्थाओं के बुनियादी सिद्धांत बहुत अलग हैं।
जहां ज्यादातर 11 ईएम सेंट्रल बैंकों का स्कोर मूडीज के वृहद आर्थिक स्थिरता के आकलन में बेहतर है, वहीं इसके मुताबिक ‘चिली के अपवाद को छोडकर 11 उभरते बाजारों में से ज्यादातर देशों में सरकार की प्रभावशीलता, वित्तीय सुधारों को लागू करने में संभावित जोखिम के सुझाव या समेकित योजना कमजोर है।’
मूडीज ने कहा है, ‘कर्ज की वहनीयता में बहुत अंतर है। घाना व भारत (बीएए2 ऋणात्मक) सबसे कमजोर हैं।’ इसमें कहा गया है कि साथ ही 11 उभरते बाजारों में भारत, दक्षिण अफ्रीका और घाना पर सबसे ज्यादा सार्वजनिक ऋण है और कर्ज की वहनीयता सबसे कमजोर है।
मूडीज के परिणामों का समर्थन करते हुए यूबीएस की अर्थशास्त्री तान्वी गुप्ता जैन ने कहा कि भारत का सार्वजनिक ऋण (जीडीपी के प्रतिशत में) वित्त वर्ष 20 के 72 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 21 में 89 प्रतिशत हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘हमारे अनुमान से संकेत मिलता है कि सार्वजनिक ऋण के स्तर के मौजूदा उच्च स्तर से नीचे लाने के पहले स्थिरता में मदद के लिए सालाना आधार पर नॉमिनल जीडीपी में कम से कम 10 प्रतिशत वृद्धि की जरूरत है।’ उभरते  वैश्विक बाजारों (ईएम) में सार्वजनिक ऋण और जीडीपी के उच्च अनुपात के मामले में 2021 में अर्जेंटीना और ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर रहा।

First Published - April 14, 2021 | 11:49 PM IST

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