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लेन-देन में जाली नोटों से सावधान रहने की जरूरत

Last Updated- December 07, 2022 | 8:42 PM IST

अपने बेटे की फीस जमा करने के लिए सूर्यभानु प्रताप (बदला हुआ नाम) ने एटीएम से 5,000 रुपये की निकाले और स्कूल में जमा भी करा दिए।


लेकिन फीस अदायगी के एक दिन बाद ही उन्हें उन्हें स्कूल वापस बुला कर बताया गया कि फीस की कुल राशि में से पांच सौ के चार नोट जाली निकले हैं। जाहिर है, प्रताप इस घटना से काफी डर गए और वे खासा बेइात भी महसूस कर रहे थे।

वे अगले दिन चुपचाप स्कूल वापस गए और नोट बदलकर ले गए। लेकिन यह पूछे जाने पर कि इस घटना की तस्कीद के लिए उन्होंने पुलिस को या फिर बैंक को क्यूं नहीं सूचित किया तो इस पर उन्होंने कहा कि सबसे पहली बात तो यह थी कि मेरे पास यह साबित करने के लिए कुछ नहीं था कि वे पैसे मैंने उसी एटीएम से निकाले हैं और दूसरी बात कि, मैं किसी प्रकार की पुलिसिया जांच के पचड़े में नहीं पड़ना चाहता था।

वे नोट पास के गङ्ढे में फटे पड़े हुए थे। इस प्रकार कुल घाटा 2,000 रुपये का हुआ। उधर बैंक का इस बारे में कहना है कि एटीएम से जाली नोट मिलने का यह अति विलक्षण मामला है। आईडीबीआई बैंक के सीएमडी जीतेंद्र बालकृष्णन कहते हैं कि एटीएम मशीन में रखे जाने से पहले नोटों को कई चरणों में जांचा जाता है और अगर इस दौरान कोई जाली नोट पाया जाता है तो इसे पकड़ में आना ही आना है।

हां, यह जरूर होता है कि नए नोटों के सीरियल नंबर का तो रिकॉर्ड रखा जाता है पर पुराने नोटों के सीरियल नंबर का लेखा-जोखा नही रखा जाता है। लेकिन आरबीआई द्वारा जारी हालिया आंकड़ों का हवाला दिया जाए तो पिछले एक साल के दौरान जाली नोटों में खासा इजाफा हुआ है।

2007-08 के दौरान जाली नोटों की जांच के बाद उनकी कीमत में 137 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले वित्तीय वर्ष के 2.4 करोड़ रुपये के मुकाबले इस साल उनका मूल्य बढ़कर 5.5 करोड़ रुपए हो गया। लेकिन प्रताप जैसे पीड़ित इसके खिलाफ कुछ नहीं कर सकते हैं। इस बारे में फौजदारी वकील रॉबिन मैथ्यू का कहना है कि पुलिस उसी हालत में कुछ कर सकती है जबकि नोट एक श्रेणी में हों।

जाली नोटों को रखना चूंकि एक आपराधिक कृत्य है। इतना ही नहीं बल्कि एक जाली नोट रखने पर भी व्यक्ति मुश्किल में पड़ सकता है। सो, उस हालात में किसी को क्या करना चाहिए? इस पर वरिष्ठ आरबीआई अधिकारी का कहना है कि अगर ऐसे नोट किसी बैंक या फिर एटीएम से निकलते हैं तो ग्राहकों को चाहिए कि वह पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं और जहां से वह नोट मिला है उस स्थान का जिक्र करें।

इसके बाद अगर पुलिस इस मामले में बैंक या फिर एटीएम को दोषी नहीं पाती है तो फिर उस नोट को या तो नष्ट कर दिया जाएगा या फिर उसे जांच के लिए भारतीय रिजर्व बैंक भेज दिया जाएगा। कोटक महिंद्रा बैंक के रिटेल लाइब्लिटीज एंड ब्रांच बैंकिंग के समूह प्रमुख केवीएस मेनन बताते हैं कि बैंक अगर ऐसे नोट पाते हैं तो फिर इन्हें उपभोक्ताओं के सामने ही नष्ट कर दिया जाता है और फिर स्थानीय पुलिस स्टेशन में मुद्रा एवं उपभोक्ता का विवरण देते हुए एक अर्जी दर्ज करवाता है।

इसके बाद उस ग्राहक को एक ऑफिशियल पत्र भेजा जाता है और जिसमें सीरियल नंबर का जिक्र भी रहता है। बात इतनी ही नहीं है क्योंकि न तो इस बारे में कोई दिशानिर्देश हैं कि इस समस्या से उस ग्राहक को बचाया जा सके और न ही ऐसा कोई तंत्र है जिससे ग्राहक को उसका पैसा वापस मिल सके।

कैसे पहचानें नकली नोट

सीरियल नंबर फ्लोरीसेन्ट इंक से प्रिन्टेड होते हैं जिन्हें अल्ट्रावॉयलेट लेंस से देखा जा सकता है।
बांयी ओर वाले भाग में मुद्रा के आधा अंकित मूल्य सामने प्रिन्टेड रहता है जबकि शेष आधा अंकित मूल्य पीछे वाले भाग पर अंकित रहता है। इसे चमकीले के बजाए कम प्रकाश में देखा जाए तो अंकित मूल्य पूरा दिखेगा।
फ्लोरल प्रिंट के नीचे एक चिह्न बना होता है जहां प्रतिबिंब थोड़ा उठा हुआ होता है ताकि जिन्हें दिखने में दिक्कत होती हो वो उसे स्पष्ट देख सकें। मसलन 500 रुपये के नोट पर गोल चिह्न, 100 रुपये पर तिकोना एवं 50 रुपये के नोट पर चौकोर चिह्न होते हैं।
इसी प्रकार, महात्मा गांधी की तस्वीर, रिजर्व बैंक की सील बतौर गारंटी का काम करती है। बाईं ओर अशोक स्तंभ का प्रतीक एवं रिजर्व बैंक के गर्वनर के हस्ताक्षर सभी फ्लोरल प्रिंट के नीचे यानी इंटैग्लियो पर होते हैं।
एक चौड़ी पट्टी जिस पर हिंदी में भारत और आरबीआई अंकित होता है जो अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश में दोनों ओर चमकता है।

First Published - September 10, 2008 | 10:42 PM IST

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