प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत से वस्तुओं का निर्यात बढ़ाने की रणनीति का खुलासा किया, जिसका मकसद महामारी के प्रकोप के बीच कमजोर अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाना है।
विदेश में भारतीय मिशनों के प्रमुखों और वाणिज्य और उद्योग के हिस्सेदारों से वर्चुअल बातचीत करते हुए मोदी ने निर्यात बढ़ाने में 4 कारकों को अहम बताया। उन्होंने कहा कि घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने, ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स में आने वाली समस्याओं को दूर करने, कें द्र व राज्य सरकारों को निर्यातकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने और भारतीय उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार का विस्तार करने से हम निर्यात को गति दे सकते हैं। इस बातचीत का व्यापक मकसद भारत के निर्यात की क्षमता बढ़ाने को लेकर हिस्सेदारों को प्रोत्साहित करना और वैश्विक मांग पूरी करने के लिए स्थानीय क्षमताओं का इस्तेमाल करना है।
इसके बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के निर्यात बास्केट के विविधीकरण और साथ ही नए उत्पादों को चिह्नित करने की जरूरत है, जिससे उनका निर्यात संबंधित बाजारों में किया जा सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए रणनीति तैयार करनी होगी। इस समय भारत के निर्यात बास्केट में इंजीनियरिंग सामान, पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न एवं आभूषण, दवाएं प्रमुख हैं।
मोदी ने कहा, ‘इस समय निर्यात जीडीपी का करीब 20 प्रतिशत है। हमारी अर्थव्यवस्था के आकार को देखते हुए हमारी क्षमता, हमारे विनिर्माण व सेवा क्षेत्र का आधार इस दिशा में बहुत ज्यादा बढऩे की है।’ उन्होंने कहा कि भारत को बाधारहित और उच्च गुणवत्ता की आपूर्ति शृंखला बनाने और सस्ते लॉजिस्टिक्स की जरूरत है, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिल सके।
निर्यात में तेज बढ़ोतरी से आर्थिक वृद्धि ऐसे समय में गति पकड़ सकती है, जब महामारी के व्यवधानों के कारण निजी खपत के साथ निवेश सुस्त है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इंजीनियरिंग, रत्न एवं आभूषण, पेट्रोलियम/ पेट्रोरसायन, औषधि के अलावा निर्यात वस्तुओं का दायरा बढ़ाने की जरूरत है।
सरकार की ओर से उद्यमियों को दी जा रही सहूलियतों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना से उद्योग को मदद मिलेगी, जिसकी मदद से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा।