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निर्मला सीतारमण ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में संशोधन को बताया सही, कहा रियल एस्टेट पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ नहीं

23 जुलाई को पेश बजट में संप​त्ति की बिक्री पर इंडेक्सेशन का लाभ हटा लिया गया था और 12.5 फीसदी की दर से एलटीसीजी कर का प्रस्ताव किया था।

Last Updated- August 07, 2024 | 10:42 PM IST
Banking Amendment Bill passed, emphasis on improvement in functioning of banks and provisions for protection of customers' interests बैंकिंग संशोधन विधेयक पारित, बैंकों के कामकाज में सुधार और ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के प्रावधान पर जोर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में वित्त विधेयक 2024 पर चर्चा के जवाब में कहा कि प्रस्तावित संशोधन से रियल एस्टेट संप​त्तियों की बिक्री पर दीर्घाव​धि पूंजी लाभ कर (एलटीसीजी) के लिहाज से कोई अतिरिक्त कर बोझ नहीं पड़ेगा।

सीतारमण ने कहा, ‘हर बार जब हम बजट पेश करते हैं… मैं देश भर के अलग-अलग हिस्सों में गई और कर पेशेवरों, उद्योग, व्यापारियों और सभी हितधारकों से मुलाकात कर उनके विचार जाने। उसके बाद संशोधन का प्रस्ताव किया है ताकि बजट आम लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व कर सके।’

वित्त मंत्री वित्त विधेयक में ताजा संशोधन के बारे में जवाब दे रही थीं। उन्होंने कहा कि 23 जुलाई, 2024 से पहले खरीदी गई संप​त्ति के लिए करदाता बगैर इंडेक्सेशन के 12.5 फीसदी एलटीसीजी दर या इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी कर की दर का विकल्प चुन सकते हैं।

बजट पेश करने के तुरंत बाद इतने सारे संशोधन प्रस्तावित करने के बारे में उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि हमने उन लोगों को सुना है जो कुछ बदलाव चाहते हैं और हमारे पास इसे बदलने का साहस और विश्वास है।’

23 जुलाई को पेश बजट में संप​त्ति की बिक्री पर इंडेक्सेशन का लाभ हटा लिया गया था और 12.5 फीसदी की दर से एलटीसीजी कर का प्रस्ताव किया था। इससे रियल एस्टेट सौदों को लेकर चिंता बढ़ गई थी।

अपने इस प्रस्ताव का बचाव करते हुए सीतारमण ने कहा था कि एलटीसीजी व्यवस्था को सरल बनाने के लिए इंडेक्सेशन हटाया गया था न कि राजस्व अर्जित करने के उद्देश्य से। कराधान पर प्रस्तावित घोषणा के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि करों में भारी वृद्धि किए बिना, हम एक सरल कराधान व्यवस्था लाए हैं और अनुपालन को आसान बनाया है।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विचार देश में सरल, कुशल और निष्पक्ष तकनीक आधारित कराधान व्यवस्था कायम करने का है। इसलिए पिछले 10 वर्षों में इसे करदाताओं के लिए सरल और अनुपालन को आसान बनाना हमारा मुख्य उद्देश्य रहा है। और इस साल मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कराधान का दृष्टिकोण इसे सरल बनाने, करदाता पर बोझ कम करने और यह सुनिश्चित करने का रहा है कि यह पारदर्शी और एकसामन हो।’

प्रत्यक्ष कर पर वित्त मंत्री ने कहा कि 2023 में 15 लाख रुपये की सालाना आय पर प्रभावी कर घटाकर 10 फीसदी किया गया था और इस साल नई आयकर व्यवस्था के तहत इसे और कम किया गया है। 31 दिसंबर, 2023 तक करीब 3.8 फीसदी करदाताओं ने नई कर व्यवस्था को अपनाया था मगर जुलाई 2024 तक नई व्यवस्था को अपनाने वालों की संख्या में जबरदस्त उछाल आई है।

आयकर रिटर्न के बारे में सीतारमण ने कहा, ‘आयकर रिटर्न की औसत प्रोसेसिंग अवधि 2013 में 93 दिनों की थी जो अब घटकर महज 10 दिन रह गई है।’ उन्होंने कहा कि 31 जुलाई 2024 तक रिकॉर्ड संख्या में आयकर रिटर्न दाखिल किए गए और करीब 58.57 फीसदी आईटीआर पहली बार आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों से प्राप्त हुए हैं। सीतारमण ने स्रोत पर कर कटौती यानी टीडीएस दरों में बदलाव के बारे में विस्तार से बताया।

वित्त मंत्री ने दर को 5 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी करने और धारा 194एफ को समाप्त किए जाने के बारे में भी बताया।  धारा 194एफ के तहत पहले 20 फीसदी दर लागू थी। वित्त मंत्री ने कहा कि इन बदलावों से छोटे कारोबारियों के लिए नकदी प्रवाह में सुधार होगा। इससे उन्हें वित्तीय मजबूती और वृद्धि को रफ्तार मिलेगी। खोज कर के मामलों में आकलन की अवधि को 10 वर्ष से घटाकर 6 वर्ष कर दी गई है। उन्होंने कहा कि करों नए सिरेस से खोलना कभी भी आसान नहीं होगा।

सीतारमण ने कहा, ‘आकलन को 5 साल तक खोला जा सकता है, मगर चौथे और पांचवें वर्ष के लिए केवल 5 लाख से अधिक की अघोषित आय ही खोली जा सकती है।’

अप्रत्यक्ष कराधान के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि पूरे देश के लिए अधिक एक सरल कर ढांचे के लिए दरों की व्यापक समीक्षा की जाएगी। सभी सीमा शुल्क केंद्रों पर प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

स्वास्थ्य बीमा पर 18 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैं दो महत्त्वपूर्ण बातें आपके सामने रखना चाहती हूं- जीएसटी लागू होने से पहले भी चिकित्सा बीमा पर कर लगाया जाता था। यह कोई नया मामला नहीं है। सभी राज्यों में यह पहले से ही मौजूद है। यह जो इसका विरोध कर रहे हैं, क्या वे अपने राज्यों में इस कर को हटाने के लिए चर्चा की थी?’

वित्त मंत्री की यह प्रतिक्रिया कई विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए मुद्दे के बाद आई जिसमें नितिन गडकरी द्वारा वित्त मंत्री को लिखे गए पत्र का हवाला दिया गया था। गडकरी ने अपने पत्र में जीवन और चिकित्सा बीमा के लिए भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर जीएसटी हटाने का अनुरोध किया था।

First Published - August 7, 2024 | 10:42 PM IST

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