आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की अर्थव्यवस्था के संकुचन का अपना अनुमान बढ़ाकर 10.2 प्रतिशत कर दिया है, जबकि पहले 3.7 से 7.3 प्रतिशत के बीच संकुचन का अनुमान लगाया था। ओईसीडी ने कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन में बढ़ोतरी के बाद अनुमान में बदलाव किया है।
बहरहाल संगठन को अब उम्मीद है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर होगा और 2020 में इसमें 4.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी, जबकि पहले 6 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया गया था।
इंटरिम इकोनॉमिक असेसमेंट कोरोनावायरस : लिविंग विद अनसर्टेनिटी नाम से तैयार की गई रिपोर्ट में ओईसीडी ने कहा है कि लंबे समय तक वायरस के प्रसार, गरीबी और अनौपचारिकता के उच्च स्तर और सरकार के सख्त कदमों को देखते हुए संकुचन का यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादा सार्वजनिक ऋण और बढ़ती देनदारी, कर वसूली में कमी से राजकोषीय नीति के इस्तेमाल की संभावनाएं सीमित हैं, जिससे कि हाशिये वाले समाज की वृद्धि व आमदनी को समर्थन दिया जा सके।
केंद्र के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जुलाई में ही बजट में अनुमानित स्तर के पार पहुंच गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश 1.67 लाख करोड़ रुपये पूरक अनुदान मांग के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि इस वित्त वर्ष में सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी के 7.4 से 8.5 प्रतिशत के बीच पहुंच जाएगा, जबकि बजट मेंं 3.5 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का अनुमान लगाया गया था।
इससे मौद्रिक नीति पर आर्थिक स्थिरता संबंधी बोझ बढ़ा है, लेकिन ओईसीडी ने कहा है कि महंगाई के बढ़ते दबाव और वित्तीय स्थिरता की चिंता कुछ उभरते बाजारों, खासकर भारत में, केंद्रीय बैंक के कदमों को सीमित कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर रीपो रेट में 135 आधार अंक की कटौती की है।
बहरहाल अगले साल के लिए ओईसीडी का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था 10.7 प्रतिशत बढ़ेगी, जो जून में लगाए गए अनुमान से 2.8 आधार अंक ज्यादा है।
जून महीने में ओईसीडी ने अनुमान लगाया था कि भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत सिकुड़ेगी, अगर इस साल के बाद के महीनों मेंं कोरोनावायरस की दूसरी लहर आती है। उसने कहा था कि अगर दूसरी लहर नहीं आती है तो अर्थव्यवस्था में संकुचन 3.7 प्रतिशत रहेगा।