केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि ई-कॉमर्स के जरिये बिक्री करने वाले छोटे कारोबारों के लिए अनिवार्य पंजीकरण में छूट देने का वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद का फैसला ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) की सफलता के लिए खेल का रुख बदलने वाला साबित हो सकता है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन आपूर्तिकर्ताओं के बीच समानता लाने के लिए जीएसटी परिषद ने बुधवार को उन इकाइयों के लिए जीएसटी पंजीकरण में छूट दी, जिनका साल का कुल कारोबार 20 लाख रुपये तक है और जो कोई अंतर-राज्य कर योग्य आपूर्ति नहीं कर रहे हैं। इसने 1.5 करोड़ रुपये की कुल कारोबार की सीमा वाले ऑनलाइन विक्रेताओं के लिए जीएसटी संरचना योजना का भी विस्तार किया है। कानून में यह बदलाव 1 जनवरी, 2023 से
लागू होंगे। गोयल ने कहा कि यह एक बड़ा फैसला है जो ई-कॉमर्स प्रणाली में मदद करेगा, लेकिन इससे भी ज्यादा अहम बात यह है कि यह देश में बढ़ते ई-कॉमर्स कारोबार से लाभ उठाने में छोटे कारोबारों की मदद मिलेगी। एक बड़ा लाभ हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र तथा छोटे कपड़ा क्षेत्र के लिए भी है। गोयल ने कहा कि एक अन्य बड़ा लाभ उन छोटे खुदरा विक्रेताओं के लिए है, जो ई-कॉमर्स के साथ जुड़ने के लिए काफी उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार पहले से ही ओएनडीसी के संबंध में सक्रिय रूप से काम कर रही है, जो विभिन्न प्लेटफार्मों को एक-दूसरे से संपर्क करने और एक-दूसरे के साथ जुड़ने तथा उपभोक्ताओं को वस्तु और सेवाओं की खरीद में व्यापक विकल्प प्रदान करने की अनुमति देगा। इस बात के मद्देनजर वित्त मंत्री के तहत जीएसटी परिषद का यह फैसला ओएनडीसी की सफलता और छोटे खुदरा विक्रेताओं को ई-कॉमर्स प्रणाली में लाने के लिए खेल का रुख बदलने वाला रहेगा।
वर्तमान में ई-कॉमर्स परिचालकों (ईसीओ) के जरिये आपूर्ति करने वाले विक्रेताओं को अनिवार्य रूप से पंजीकृत होना चाहिए, भले ही उनका कुल वार्षिक कारोबार वस्तुओं के मामले में 40 लाख रुपये और सेवाओं के मामले में 20 लाख रुपये की सीमा से कम हो। ऑफलाइन काम करने वाले विक्रेताओं को क्रमशः 40 लाख रुपये या 20 लाख रुपये तक की वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति के लिए पंजीकरण से छूट की अनुमति है।