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‘केवल एक बोली से नहीं बनती बात’

Last Updated- December 11, 2022 | 6:40 PM IST

बीएस बातचीत

बीपीसीएल की विनिवेश प्रक्रिया रद्द होने के एक दिन बाद निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि केवल एक बोली आने से न तो कंपनी की विनिवेश प्रक्रिया आगे बढ़ सकती थी और न ही मनचाही कीमत मिल सकती थी। पांडेय ने निकुंज ओहरी के साथ साक्षात्कार में बताया कि सरकार अभी इंतजार करेगी और उसके बाद बीपीसीएल के विनिवेश पर दोबारा विचार करेगी। बातचीत के प्रमुख अंश:

बीपीसीएल की नई विनिवेश प्रक्रिया किन मायनों में अलग होगी?
बीपीसीएल की विनिवेश प्रक्रिया में कई बाधाएं आई थीं। कोविड महामारी से लेकर स्वच्छ ऊर्जा की ओर झुकाव और  भू-राजनीतिक तनाव आदि के कारण निवेशकों के लिए रिफाइनिंग कारोबार में निवेश करना मुश्किल हो गया है। कार्बन उत्सर्जन कम करने के लक्ष्यों से भी बीपीसीएल की विनिवेश प्रक्रिया पर असर हुआ। इतने बड़े सौदे के लिए कंसोर्टियम बनाने में भी अनिश्चितता थी। निवेशकों के पांव खींच लेने के कारण सरकार कुछ इंतजार करेगी और हालात का जायजा लेकर आगे के कदमों पर फैसला करेगी। व्यापक समीक्षा के बाद सौदे की शर्तों में तब्दीली भी की जा सकती है। वैश्विक स्तर पर उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए फिलहाल कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है।

वर्तमान विनिवेश प्रक्रिया से क्या सीख ली जा सकती है?
सार्वजनिक उपक्रमों की निजीकरण पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है क्येांकि अगर सौदा प्रतिस्पद्र्घी बोली प्रक्रिया से पूरा होता नहीं दिखता तो हम उसे रद्द कर देते हैं। सार्वजनिक विज्ञापन देने के बाद इकलौती बोली के जरिये विनिवेश भी किया जा सकता है मगर इससे कंपनी की बेहतर कीमत नहीं मिल पाएगी। बाजार मूल्य तय किया जा सकता है लेकिन चूंकि बीपीसीएल से सरकार का नियंत्रण खत्म होगा, इसलिए सौदा पक्का करने से पहले इसे भी ध्यान में रखना होगा। कम से कम बोलियां होने पर ही नियंत्रण हस्तांतरण के एवज में वाजिब कीमत मिल पाएगी।

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में हिस्सेदारी बेचने की सरकार की क्या योजना है?
ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) का रास्ता अधिक कारगर होगा। हम कहते रहे हैं कि हम ओएफएस के जरिये ही हिस्सेदारी बेचेंगे। यह काम टुकड़ों में किया जाएगा क्योंकि बिक्री एक बार में पूरी नहीं हो सकती।

सूचीबद्ध होने के बाद एलआईसी का शेयर कमजोर हुआ है। कंपनी में निवेश करने वालों को क्या सलाह देंगे?
हम ने शुरू से कहा कि मध्यम से दीर्घ अवधि में बाजार में एलआईसी की स्थिति मजबूत हो जाएगी। एक संगठन के रूप में एलआईसी काफी मजबूत और सबसे अलग है और सूचीबद्घ कंपनी के तौर पर उसका प्रदर्शन और भी बदल जाएगा। एलआईसी को बाजार में आए केवल दो सप्ताह हुए हैं और निवेशकों को थोड़ा धैर्य रखना चाहिए।    
कॉनकॉर निजीकरण प्रक्रिया कहां तक पहुंची है?
रेल मंत्रालय भूमि लाइसेंस नीति पर काम कर रहा है जिससे प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना को तेजी मिलेगी। रेलवे सामान्य भूमि लाइसेंस नीति पर काम कर रहा है और जल्द ही एक नीति सबके सामने होगी। इसके बाद दीपम कॉनकॉर के लिए अभिरुचि पत्र आमंत्रित करेगा।

आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार कब बोलियां मंगाएगी?
सरकार इस साल जून के अंत तक आईडीबीआई बैंक में हिस्सेदारी बिक्री के लिए अभिरुचि पत्र मंगा सकती है। बोलीदाताओं ने उत्साह दिखाया और अदालती मामले नहीं चले तो इसी वित्त वर्ष में हिस्सेदारी बिक्री पूरी हो जाएगी। दो अन्य सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।

सीईएल और पवन हंस के निजीकरण पर बात कहां तक आगे बढ़ी है?
पवन हंस के निजीकरण में समस्या कुछ दिन पहले ही सामने आई और हम उसके कानूनी पहलुओं की पड़ताल कर रहे हैं। सीईएल निजीकरण पर मंत्रियों की समिति जल्द फैसला करेगी। हम खुलासा प्रक्रिया आसान बना रहे हैं ताकि निवेश सलाहकारों को अधिक से अधिक जानकारी मिल सके।

First Published - May 28, 2022 | 12:04 AM IST

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