सरकार महंगाई की आग को कम करने की जितनी कोशिशें कर रही है, उतनी ही यह आग भड़कती जा रही है। 17 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान महंगाई दर बढ़कर 45 महीने के उच्चतम स्तर, यानी 8.1 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पहले सप्ताह में महंगाई दर 7.82 प्रतिशत थी, जबकि पूर्व वर्ष की […]
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महंगाई की बेलगाम रफ्तार ने भले ही सरकार के होश उड़ा दिए हों, पर इस खबर से उसे थोड़ी बहुत राहत तो जरूर मिली होगी। शुक्र है कि जिस तेजी से महंगाई बढ़ रही है कम से कम देश में खाद्य पदार्थों की कीमतों में अब भी उस तेजी से बढ़ोतरी नहीं हुई है। भारत […]
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भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे फाइनेंशियल इंक्लूसन कार्यक्रम में चीन भी शामिल होना चाहता है। चीन की निगाहें भारत के उन ग्रामीण इलाकों पर है, जहां लाखों लोगों के लिए वित्तीय योजनाएं शुरू होनी हैं। इस बाबत चीन के पीपुल्स बैंक और चाइनीज बैंक असोसिएशएन भारत के प्राथमिक क्षेत्र को समझने की कोशिश […]
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कहते हैं कि दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। शायद यही वजह है कि सरकार महंगाई से इस तरह परेशान हो गई है कि वह हर उन उपायों पर अमल करने पर विचार कर रही है जिससे मुद्रास्फीति की दर पर लगाम लगाई जा सके। यही वजह है कि प्रधानमंत्री की आर्थिक […]
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तेल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिसलते भारत को बचाने का जिम्मा अब आयकरदाताओं के कंधे पर आ सकता है। सरकार तेल घाटे की भरपाई के लिए इनकम और कॉरपोरेट टैक्स पर सेस (अधिभार) लगाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। खुद पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने मंगलवार को एक सवाल के जवाब में […]
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सीमेंट निर्यात पर लगे प्रतिबंध को सरकार ने आंशिक तौर पर हटा लिया है। सीमेंट के निर्यात पर गत 11 अप्रैल को रोक लगा दी गई थी। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि गुजरात के बंदरगाहों से सीमेंट का निर्यात किया जा सकेगा। मानसून में मांग कम रहने तथा घरेलू बाजार […]
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सीमेंट निर्यात पर लगे रोक को हटाने की वाणिज्य मंत्रालय की घोषणा का सीमेंट उद्योग जगत ने स्वागत किया है। उद्योग महकमे का कहना है कि निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने से सीमेंट की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अंबुजा सीमेंट के प्रबंध निदेशक ए एल कपूर ने कहा, ‘सरकार ने अच्छा कदम […]
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अर्थ का अर्थ के पिछले अंक में हमने लाभकारी ऋणों की चर्चा की थी। इस बार इसी चर्चा को आगे बढ़ाते हुए हम बताएंगे कि अलाभकारी या फंसे हुए ऋण क्या होते हैं। परिभाषाअगर देनदार (मुख्य तौर पर बैंक) की ओर से देखें तो ऐसे कर्ज जिनकी वसूली की उम्मीद नहीं के बराबर हो, उन्हें […]
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