उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की घोषणा के बाद विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय विनिर्माण जोर पकडऩे जा रहा है, ऐसे केंद्र सरकार इस लय को बरकरार रखना चाहती है। प्रमुख क्षेत्रों में बड़े निजी उद्यमों को आकर्षित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दर्जन भर उद्योगपतियों को आभासी बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया है।
दूरसंचार से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक, खाद्य प्रसंस्करण से फार्मास्यूटिकल तक और इस्पात से लेकर वस्त्र उद्योगों तक के शीर्ष कार्यकारी शुक्रवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होगी। सूत्रों के मुताबिक नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन, पैनासोनिक इंडिया के अध्यक्ष मनीष शर्मा, मारुति सुजूकी के चेयरमैन आर सी भार्गव, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के प्रबंध निदेशक पवन कुमार गोयनका, अमूल के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी और डिक्सॉन टेक्रॉलॉजीज के मुख्य प्रबंध निदेशक सुनील वछानी को इस बैठक में आमंत्रित किया गया है।
जेएसडब्ल्यू समूह के सज्जन जिंदल, भारती एयरटेल के मुख्य कार्याधिकारी गोपाल विट्ठल, आईटीसी के खाद्य कारोबार के मुख्य कार्याधिकारी हेमंत मलिक और अग्रणी फार्मा तथा रसायन उद्योग के शीर्ष कार्यकारियों के भी इसमें शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
इस कार्यक्रम में अगले वित्त वर्ष में पीएलआई योजना को सफल बनाने के सरकार के प्रयासों से अवगत कराने के अलावा आर्थिक मामलों के विभाग ने एक आउटरीच कार्यक्रम का भी आयोजन किया है जिससे उद्योग की चिंता से भी अवगत हुआ जा सके। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) जैसे उद्योग संघ सक्रिय रूप से दोनों पक्षों को करीब लाने में संलग्न हैं। नीति आयोग के शीर्ष प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल होंगे।
इस मामले के जानकार लोगों के मुताबिक निर्यातों को बढ़ाने के अलावा खाद्य उत्पादों के लिए पीएलआई के लाभों को किसानों तक पहुंचाना योजना की थीम हो सकती है।
इस मामले पर नजर रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, ‘किसानों को प्रत्यक्ष लाभ देने वाले विचारों और प्रस्तावों को अहमियत दी जाएगी। बहरहाल, सरकार आयात के लिए खुले देशों को भारत से खाद्य निर्यातों को बल देने के लिए योजना तैयार कर रही है। हालांकि, एक कठोर अनुपालत तंत्र की व्यवस्था की जाएगी ताकि विनिर्माता प्रोत्साहनों का लाभ लेने के लिए योजना का दुरुपयोग नहीं करें।’
एक ओर जहां सरकार पहले ही 12 क्षेत्रों के लिए 1.94 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय की सैद्घांतिक मंजूरी दे चुकी है वहीं नोडल मंत्रालयों या बहुत सारे मामलों में विभागों की ओर से विस्तृत योजनाओं की घोषणा अब तक नहीं की गई है। उदाहरण के लिए अगले पांच वर्ष के लिए खाद्य उत्पाद उद्योग के लिए 10,900 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि की घोषणा की जा चुकी है लेकिन खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने पीएलआई योजना की जानकारी नहीं दी जिसका 1 अप्रैल से प्रभावी होने की उम्मीद है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के शीर्ष कार्यकारी अब शुक्रवार की बैठक से पहले खाके की एक प्रति मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।
एक अग्रणी उपभोक्ता सामान कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘अब जबकि उद्योग को आदरणीय प्रधानमंत्री के साथ चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है हम बैठक से पूर्व नियम और शर्तों को देखने की उम्मीद करते हैं। इनके अभाव में हम किस प्रकार से अपनी चिंताओं या हितों को उनके समक्ष रख पाएंगे।’