मुंबई हादसे के बाद पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शिवराज पाटिल की जगह तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को गृहमंत्रालय की कमान सौंपी कर वित्त मंत्रालय का जिम्मा खुद ही उठाने का फैसला किया था।
लेकिन इस उलट-फेर के ठीक 9 दिन बाद मनमोहन सिंह वित्त मंत्रालय की कमान किसी और को सौंपने की तैयारी कर रहे हैं। सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को कहा है कि प्रधानमंत्री के तौर पर काफी व्यस्त रहना पड़ता है, ऐसे में वित्त मंत्रालय का काम-काज करना उनके लिए संभव नहीं होगा।
अच्छा होगा कि मंदी के मौजूदा समय में किसी अन्य को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी जाए। गौरतलब है कि मनमोहन सिंह के पास पहले से कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, योजना, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग, कोयला, पर्यावरण और वन मंत्रालय के साथ-साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है।
भावी वित्तमंत्री के लिए जिन नामों की चर्चा हो रही है, उनमें कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस.एम. कृष्णा, वाणिज्य मंत्री कमलनाथ, वाणिज्य राज्यमंत्री जयराम रमेश, राज्यसभा सदस्य और रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया प्रमुख हैं।
कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया को वित्त मंत्रालय सौंपना चाहते हैं। वह चिदंबरम के गृह मंत्रालय में जाने के बाद प्रधानमंत्री को वित्त मंत्रालय के कई कार्यों को निपटाने में सहायता भी करते रहे हैं। गत रविवार को सरकार की ओर से राहत पैकेज की घोषणा भी मोंटेक ने ही की।
ऐसे में यह कयास लगाने जाने लगा था कि मोंटेक ही नए वित्त मंत्री होंगे। हालांकि सोनिया गांधी इससे सहमत नजर नहीं आती हैं। दरअसल, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मोंटेक का राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी उन्हें वित्त मंत्रालय का पद सौंप कोई खतरा उठाने के मूड में नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि जहां तक एस.एम. कृष्णा और कमलनाथ की बात है, तो ये पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। हालांकि कृष्ण मौजूदा संसद के सदस्य नहीं हैं, लेकिन उन्हें मंत्री पद सौंपने में कोई परेशानी नजर नहीं आ रही है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति बिना सदन के सदस्य के 6 महीनों तक मंत्री पद संभाल सकता है।
रिजर्व बैंक में लंबे अनुभव की वजह से सी. रंगराजन भी वित्त मंत्री पद के लिए मनमोहन सिंह के पसंदीदा हैं। पार्टी का एक धड़ा भी यह मानता है कि रंगराजन की भले ही राजनीतिक पृष्ठभूमि न रही हो, लेकिन रिजर्व बैंक के अनुभव का लाभ उन्हें मिल सकता है।
मैसाच्युएट्स इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी से शिक्षा प्राप्त दो अर्थशास्त्री-जयराम रमेश और अर्जुन कुमार सेनगुप्ता भी भावी वित्त मंत्री की दौड़ में शामिल हैं।
जयराम रमेश की 10 जनपथ में अच्छी पकड़ उनके पक्ष में जाती है, तो सेनगुप्ता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं।
हालांकि सेनगुप्ता की राज्यसभा सदस्यता के कारण उन्हें परेशानी हो सकती है। दरअसल, वे पश्चिम बंगाल से निर्दलीय उम्म्मीदवार के रूप में खड़े थे, जिसे कांग्रेस और वामदलों ने समर्थन दिया था।
वामदलों ने इस बारे में चेतावनी भी दी है कि अगर वे मंत्री पद पाने के लिए कांग्रेस के साथ जाते हैं, तो उनकी सदस्यता रद्द करने की अपील की जा सकती है।