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प्रयागराज महाकुंभ ने उत्तर प्रदेश सरकार का खजाना भरा, रिपोर्ट में दावा – टैक्स संग्रह में 500 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में 66 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे, जिससे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला और टैक्स, पर्यटन व ईंधन बिक्री से 500 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हुई।

Last Updated- June 07, 2025 | 7:21 PM IST
Maha Kumbh 2025
कुंभ मेले की तस्वीर | फाइल फोटो

Kumbh Mela 2025: प्रयागराज में 45 दिनों तक चला महाकुंभ सिर्फ एक विशाल धार्मिक आयोजन ही नहीं रहा, बल्कि भारत के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के लिए एक बड़ा आर्थिक इवेंट बन गया। लगभग 66 करोड़ श्रद्धालुओं को आकर्षित करने वाले इस मेले ने राज्य सरकार के लिए अच्छा-खासा राजस्व जुटाया, जिसमें टैक्स कलेक्शन और ईंधन बिक्री में तेजी ने बड़ी भूमिका निभाई। यह जानकारी न्यूज वेबसाइट मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट में शनिवार को सामने आई।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, महाकुंभ ने राज्य के खजाने में लगभग 500 करोड़ रुपये अतिरिक्त गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) और वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) के रूप में जोड़े। टैक्स विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “महाकुंभ ने राज्य के खजाने में करीब 500 करोड़ रुपये GST/VAT के रूप में जोड़े, जो इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के विशाल पैमाने को साफ दिखाता है।”

2025 के जनवरी और फरवरी में हुए इस आयोजन से जुड़े सेक्टरों से कुल 239.47 करोड़ रुपये का टैक्स कलेक्शन हुआ। प्रयागराज ने इसमें सबसे ज्यादा योगदान दिया, जिसमें 146.4 करोड़ रुपये की कमाई हुई। वहीं, वाराणसी, अयोध्या और नोएडा जैसे अन्य धार्मिक केंद्रों में भी टैक्स कलेक्शन बढ़ा।

सेक्टर के हिसाब से योगदान

सेक्टर के लिहाज से, भारतीय रेलवे ने सबसे ज्यादा 124.6 करोड़ रुपये का टैक्स योगदान दिया। टेंट हाउस और विज्ञापन ने मिलकर 9.38 करोड़ रुपये जोड़े, जबकि होटल उद्योग ने 7.12 करोड़ रुपये का योगदान दिया। राज्य में हवाई यात्रा बढ़ने से 68.37 करोड़ रुपये का टैक्स मिला।

प्रयागराज में ही टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) के जरिए 2.15 करोड़ रुपये जमा हुए, जबकि 9.3 करोड़ रुपये की राशि अभी क्लीयरेंस के लिए बाकी है। पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (PWD) और नगर निगम जैसे स्थानीय निकायों ने भी राजस्व बढ़ाने में भूमिका निभाई।

आर्थिक प्रभाव सिर्फ प्रयागराज तक सीमित नहीं रहा। नोएडा ने होटल और ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म्स से 12 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। वाराणसी ने 8.42 करोड़ रुपये और अयोध्या ने 2.28 करोड़ रुपये जोड़े। डिजिटल ट्रैवल बुकिंग और हॉस्पिटैलिटी उद्योग में बढ़ोतरी ने धार्मिक पर्यटन की राज्य की अर्थव्यवस्था में बढ़ती भूमिका को उजागर किया।

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ईंधन की बिक्री में उछाल

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) के जनवरी और फरवरी 2025 के आंकड़ों से पता चलता है कि ईंधन की खपत में खासी बढ़ोतरी हुई। प्रयागराज में फरवरी में पेट्रोल की बिक्री में 81.95% की उछाल आई।

डीजल की खपत भी बढ़ी। जनवरी में यह 10,204 किलोलीटर से बढ़कर 12,428 किलोलीटर हो गई, जबकि फरवरी में बिक्री 11,061 किलोलीटर से बढ़कर 13,777.5 किलोलीटर हो गई। इन दो महीनों में कुल मिलाकर 11,800 किलोलीटर से ज्यादा ईंधन की बिक्री बढ़ी।

आर्थिक असर छोटे व्यवसायों तक भी पहुंचा। चूंकि कई श्रद्धालु निजी वाहनों से यात्रा कर रहे थे, इसलिए प्रयागराज, वाराणसी, और अयोध्या के आसपास और प्रमुख हाईवे पर ढाबों, छोटे होटलों और ईंधन स्टेशनों की मांग बढ़ गई। हालांकि इस तरह की अनौपचारिक गतिविधियां टैक्स डेटा में दर्ज नहीं होतीं, लेकिन इनका स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान रहा।

सरकारी खर्च का रिटर्न

उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ के लिए करीब 7,500 करोड़ रुपये खर्च किए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस खर्च का बचाव करते हुए कहा, “अगर केंद्र और राज्य सरकार के 7,500 करोड़ रुपये के निवेश से 3 से 3.5 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधि उत्पन्न हो सकती है, तो क्या यह एक समझदारी भरा निवेश नहीं है?”

ऑल इंडिया ट्रेडर्स कॉन्फेडरेशन के एक अनुमान ने इसे समर्थन दिया, जिसमें कहा गया कि अगर हर श्रद्धालु ने अपनी यात्रा के दौरान 5,000 रुपये खर्च किए, तो मेले का कुल आर्थिक मूल्य 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

First Published - June 7, 2025 | 7:15 PM IST

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