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पूर्व कराधान का चाहे समाधान

Last Updated- December 12, 2022 | 1:41 AM IST

पिछली तिथि से कराधान के प्रावधान को निरस्त करने के लिए आयकर कानून में संशोधन के कुछ हफ्ते बाद सरकार ने संबंधित कराधान से प्रभावित 17 कंपनियों से संपर्क कर विभिन्न अदालतों में दायर मामलों को वापस लेने के लिए कहा है, ताकि उन्हें इस संशोधन का लाभ मिल सके।
सरकार ने अपनी ओर से पहला कदम बढ़ाते हुए पूर्व तिथि से कराधान मामलों के निपटारे की पहल की है क्योंकि अगर कंपनियां इससे संबंधित मामलों को वापस नहीं लेती हैं तो सरकार के लिए नई चुनौती खड़ी हो सकती है। कराधान कानून (संशोधन) अधिनियम 2021 के तहत इस हफ्ते नियम जारी होने की उम्मीद है। सरकार ने इन 17 कंपनियों में से तीन से 8,000 करोड़ रुपये का कर वसूला था। इनमें से 7,900 करोड़ रुपये केयर्न एनर्जी से, 44.7 करोड़ रुपये वोडाफोन से और 48 करोड़ रुपये डब्ल्यूएनएस कैपिटल से वसूले थे। हालांकि यदि ये कंपनियां मामले को वापस लेती हैं तो नए नियम के तहत सरकार इस मद में वसूली गई राशि उन्हें वापस कर सकती है। अन्य मामलों में सरकार ने अभी कोई कर नहीं वसूला है, इसलिए रिफंड का मामला नहीं बनता है।

सरकारी अधिकारियों ने पहले कहा था कि यह कंपनियों पर है कि वह सरकार से संपर्क कर पूर्व तिथि से कराधान के मामले का निपटान करे लेकिन अब पूर्व तिथि से कराधान का प्रावधान निरस्त हो चुका है। हालांकि पिछले हफ्ते केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन जेबी महापात्र ने क्षेत्राधिकारियों, आयकर विभाग के प्रधान मुख्य आयुक्तों को पत्र लिखकर उन कंपनियों से संपर्क करने को कहा था जिन्हें नए संशोधनों से लाभ हो सकता है। एक अधिकारी ने कहा, ‘कंपनियों द्वारा सरकार से संपर्क करने का इंतजार करने के बजाय सरकार की ओर से ही ऐसे मामलों के निपटान के लिए कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है। सरकार अदालतों में ऐसे मामले खत्म करना चाहती है। इन मामलों से सरकार को भी बड़ी कीमत वहन करनी होगी।’ 
इसी तरह के एक मामले में मित्सुई ऐंड कंपनी की ब्रिटेन स्थित सहायक इकाई अर्लीगार्ड ने भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत मई 2021 में मध्यस्थता मामला शुरू किया था। 2007 में किए गए लेन-देन के संबंध में कंपनी से 2,400 करोड़ रुपये से अधिक की कर मांग की गई थी।

बृज मोहन खेतान समूह की कंपनी मैकलॉयड रसेल पहली भारतीय कंपनी है जिसने कलकत्ता उच्च न्यायालय में पूर्व तिथि से कराधान को चुनौती दी थी। इसी तरह आईएचसी मॉरीशस कॉर्पोरेशन और एसएबी मिलर ने भी बंबई उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया है।

First Published - August 23, 2021 | 12:45 AM IST

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