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उत्पादन बढ़ा… पीएमआई चढ़ा

Last Updated- December 11, 2022 | 7:21 PM IST

उत्पादन और फैक्टरी ऑर्डर में तेज बढ़ोतरी और अंतरराष्ट्रीय बिक्री में विस्तार की वजह से देश के विनिर्माण क्षेत्र की धारणा में मासिक आधार पर तीव्र वृद्धि देखी गई है।
मौसमी रूप से समायोजित एसऐंडपी ग्लोबल इंडिया विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अप्रैल में बढ़कर 54.7 हो गया, जो मार्च में 54 था क्योंकि कोविड-19 के प्रतिबंधों के हटने से मांग का समर्थन जारी रहा। हालांकि यह फरवरी के 54.9 से कुछ कम रहा।
पीएमआई आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में लगातार 10वें महीने समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार देखने को मिला। पीएमआई की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब विस्तार और 50 से नीचे संकुचन होता है।
एसऐंडपी ग्लोबल में अर्थशास्त्र की संयुक्त निदेशक पोलियाना डी लीमा ने कहा कि भारतीय विनिर्माण पीएमआई अप्रैल में सकारात्मक बना रहा और इसने मार्च में खोया हुआ हिस्सा दोबारा हासिल कर लिया। कारखानों ने बिक्री और इनपुट खरीद में चल रही वृद्धि के साथ रफ्तार से उत्पादन को बढ़ाना जारी रखा, जिससे यह संकेत मिलता है कि निकट भविष्य में यह वृद्धि जारी रहेगी।
इस बीच यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण जिंस के वैश्विक दामों में वृद्धि की वजह से मुद्रास्फीति का दबाव तेज हो गया। पांच महीनों में इनपुट की कीमतों में सबसे तेज गति से वृद्धि हुई, जबकि आउटपुट चार्ज मुद्रास्फीति 12 महीने के शीर्ष स्तर पर पहुंच गई।
लीमा ने कहा, ‘हाल के परिणामों से महंगाई के दबावों की गंभीरता को लेकर एक व्यापक संकेत मिलते हैं, क्योंकि ऊर्जा की कीमतों में उतार-चढ़ाव, कच्चे माल की वैश्विक कमी, यूक्रेन में युद्ध के दबाव ने खरीद लागत बढ़ा दी है। कंपनियों ने इसका जवाब पिछले एक साल में अपना शुल्क बढ़ाकर किया है।’
लीमा ने आगे कहा कि कीमतों के दबाव में बढ़ोतरी से मांग पर बुरा असर पड़ सकता है, क्योंकि कंपनियां लगातार अतिरिक्त लागत का बोझ अपने ग्राहकों पर डाल रही हैं।
भारत के विनिर्माताओं पर क्षमता का दबाव बहुत कम पड़ा है, जो पिछले माल रुकने में मामूली बढ़ोतरी से पता चलता है। सर्वे में कहा गया है कि अप्रैल महीने में रोजगार में बहुत मामूली बढ़ोतरी हुई है। इसमें कहा गया है कि सर्वे में शामिल ज्यादातर हिस्सेदारों ने कहा है कि मार्च के स्तर की तुलना में कार्यबल में बहुत मामूली बढ़ोतरी हुई है।
एमके ग्लोबल में प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, ‘कैलेंडर वर्ष 2022 की शुरुआत से गति में धीरे धीरे लेकिन लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जिंसों के बढ़े दाम की वजह से आने वाले दिनों में वृद्धि की रफ्तार घटने की संभावना है। पीएमआई में अभी भी भारत एशिया के उभरते बाजारों में है, लेकिन कुल मिलाकर कारोबारी विश्वास कमजोर बना हुआ है। इसकी प्रमुख वजह विनिर्माताओं के बीच आर्थिक अनिश्चितता और महंगाई की चिंता है।’

First Published - May 3, 2022 | 12:45 AM IST

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