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मूल्यवर्द्धन का देना होगा प्रमाण

Last Updated- December 15, 2022 | 1:41 AM IST

आयातकों को मुक्त व्यापार संधि के तहत शुल्क में छूट का दावा करने के लिए सोमवार से मूल देश में तैयार उत्पादों के 35 फीसदी मूल्यवर्द्धन का प्रमाण सौंपना होगा। ऐसा नहीं करने पर उन्हें शुल्क में रियायत का लाभ नहीं मिलेगा। इस कदम का मकसद तरजीही साझेदार वाले देशों के जरिये भारत में निर्यात करने के लिए संधि का दुरुपयोग कर शुल्क वंचना पर रोक लगाना है। हालांकि उद्योग को डर है कि इससे अनुपालन का बोझ बढ़ेगा और लागत में भी वृद्घि होगी।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार केवल निर्यातकों द्वारा केवल प्रमाणपत्र ही पर्याप्त  नहीं होगा। आयातकों को सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा मांगे जाने पर 35 फीसदी मूल्यवद्र्घन का पूरा साक्ष्य देना होगा। ऐसा नहीं करने पर मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का लाभ नहीं मिलेगा।
एक अधिकारी ने कहा, ‘अगर आयातक सीमा शुल्क अधिकारियों को संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए कि विनिर्मित वस्तुओं में कम से कम 35 फीसदी मूल्यवद्र्घन किया गया है, तो उन्हें मुक्त व्यापार समझौते के तहत मिलने वाले लाभ से वंचित रहना होगा है।’ मुक्त व्यापार करार के तहत ओरिजिन ऑफ इम्पोर्टर्स नियमों के सत्यापन की प्रक्रिया को सख्त बनाने के लिए इस साल बजट में सीमा शुल्क अधिनियम में एक नया प्रावधान जोड़ा गया था। इस प्रावधान को लागू करने के लिए पिछले महीने ही अधिसूचना जारी की गई थी। इस नियम के प्रभावी होने पर सीमा शुल्क विभाग मुक्त व्यापार करार वाले देशों से मोबाइल, विलासिता वस्तुओं, सेट टॉप बॉक्स, कैमरे और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के आयात पर निगरानी बढ़ाएगा।
उन्होंने कहा, ‘यह सुनिश्चित करना आयातकों की जिम्मेदारी होगी कि आयात किए जाने वाले सामान न केवल विदेश में बने हों बल्कि उन देशों में सामान का कम से कम 35 फीसदी मूल्यवद्र्घन भी किया गया हो।’ उदाहरण के लिए अगर इंडोनेशिया से मोबाइल भारत निर्यात किया जा रहा हो तो यह जरूरी है कि उसका ज्यादातर हिस्सा इंडोनेशिया में बना हो और 35 फीसदी मूल्यवद्र्घन किया गया हो।
अभी तक मूल देश का प्रमाणपत्र संबंधित देश के निर्यात के लिए अधिसूचित एजेंसी द्वारा जारी किया जाता था, जिसे दिखाकर आयातक सामान मंगाते थे। लेकिन अब उन्हें शुल्क रियायत का दावा करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज की जरूरत होगी।
उद्योग का मानना है कि इससे आयातकों पर बोझ बढ़ेगा और उन्हें अतिरिक्त कागजात जुटाने होंगे। केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘अगर आयातक मुक्त व्यापार संधि के तहत शुल्क छूट का लाभ लेना चाहते हैं, तो इन नियमों के अनुपालन की जिम्मेदारी उनकी होगी। उन्हें कुछ दस्तावेज देने होंगे, हलफलनाम देना होगा और फॉर्म को सही तरीके से भरना होगा।’  निर्यातकों के संगठन फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि नए नियमों से माल को मंजूरी मिलने में देर नहीं होनी चाहिए। इस देखना होगा कि इसका संचालन किस तरह से होता है। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में निर्यातक अतिरिक्त दस्तावेज मुहैया नहीं करा सकते हैं।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि मुक्त व्यापार संधि का पिछले कुछ वर्षों से दुरुपयोग के मामले बढ़ गए थे।

First Published - September 18, 2020 | 11:12 PM IST

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