आर्थिक समीक्षा 2021-22 के मुताबिक हाल के वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश को लेकर सड़़कों और रेलवे पर ध्यान अधिक रहा है। राष्ट्रीय रेल योजना पर विशेष जोर दिए जाने के साथ यह धारणा जारी रहने की संभावना है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘अगले 10 साल के दौरान रेलवे सेक्टर में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) बहुत ज्यादा रहेगा क्योंकि आने वाले वर्षों मेंं बढ़ती हुई मांग को देखते हुए 2030 तक क्षमता में तेजी से बढ़ोतरी होगी।’
समीक्षा में कहा गया है, ‘2014 तक रेलवे पर पूंजीगत व्यय सालाना महज 45,980 करोड़ रुपये था। उसके बाद उच्च स्तर पर अकुशलता और मार्गों पर भीड़ की स्थिति पैदा हुई, जिससे बढ़ती हुई मांग पूरी करने में समस्याएं आने लगीं। 2014 के बाद इस दिशा में लगातार सुधार की कवायदें शुरू हुईं और इसी के मुताबिक पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी हुई। 2021-22 में पूंजीगत व्यय आवंटन बढ़कर 2,15,000 करोड़ रुपये हो गया, जो 2014 के स्तर की तुलना में 5 गुना ज्यादा है।’ साथ ही इसमें कहा गया है कि आने वाले वर्षों में पूंजीगत व्यय में और बढ़ोतरी होगी।
समीक्षा के मुताबिक अप्रैल से नवंबर 2021 के बीच पूंजीगत व्यय का ध्यान बुनियादी ढांचा केंद्रित क्षेत्रों जैसे सड़क एवं राजमार्गों, रेलवे, आवास एवं शहरी मामलों पर रहा। इसके साथ केंद्र ने राज्यों द्वारा पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए कुछ प्रोत्साहन दिए।
समीक्षा में कहा गया है कि 2014-2021 के दौरान औसतन 1,835 ट्रैक किलोमीटर प्रति साल लाइन बिछाई गई, जो नई लाइनें बिछाने व कई ट्रैक बनाने की परियोजनाओं में किया गया। वहीं 2009-14 के दौरान औसतन 720 ट्रैक किलोमीटर का औसत रहा।
इसी तरह से सड़क क्षेत्र में देखें तो 2013-14 से राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण लगातार बढ़ा है। 2020-21 में 13,327 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ, जबकि 2019-20 मेंं 10,237 किलोमीटर राजमार्गों का निर्माण हुआ था। इससे पता चलता है कि पहले के साल की तुलना में 30.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2021-22 (सितंबर तक) 3,824 किलोमीटर सड़़कों का निर्माण हुआ है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘प्रतिदिन सड़क निर्माण 2020-21 में उल्लेखनीय रूप से बढ़कर प्रतिदिन 36.5 किलोमीटर हो गया, जो 2019-20 में 28 किलोमीटर प्रतिदिन था। इसमें पहले के साल की तुलना में 30.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2020-21 मेंं सड़कों पर सार्वजनिक व्यय उल्लेखनीय रूप से 29.5 प्रतिशत बढ़ा है।’
सड़कों और रेलवे पर भारी खर्च से स्टील उत्पादन को भी प्रोत्साहन मिला है। समीक्षा में कहा गया है, ‘आर्थिक रिकवरी के साथ स्टील की मांग इस साल तेज रही है। अगले वित्त वर्ष में भी स्टील की मांग तेज रहने की उम्मीद है। यह मुख्य रूप से भारत सरकार द्वारा सड़कों, रेलवे और रक्षा उत्पादन पर ध्यान बढ़ाने की वजह से हुआ है। स्टील के लिए प्रदर्शन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना से इस क्षेत्र में जरूरी निवेश को बल मिला है।’
नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) में वित्त वर्ष 2020 से 2025 के बीच 111 लाख करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य है। एनआईपी कार्यबल की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि करीब 15 से 17 प्रतिशत आवंटन नवोन्मेषी और वैकल्पिक पहल जैसे राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) की संपत्ति मुद्रीकरण व अन्य साधनोंं से प्राप्त किया जाएगा।
समीक्षा के मुताबिक एनएमपी से 6 लाख करोड़ रुपये मुद्रीकरण की संभावना है, जो केंद्र की प्रमुख संपत्तियोंं के माध्यम से वित्त वर्ष 2022 से 2025 के बीच 4 साल के दौरान आएंगे।