निजी क्षेत्र की कंपनियों ने जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान 4.1 लाख करोड़ रुपये मूल्य की नई परियोजनाएं और कारखाने लगाने की घोषणाएं की हैं। परियोजनाओं पर नजर रखने वाली संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईआई) के आंकड़ों के अनुसार यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 42 फीसदी अधिक है।
सरकार द्वारा 1.4 लाख करोड़ रुपये लागत वाली सड़क, रेलवे और इसी तरह की नई परियोजनाओं की घोषणाओं को भी शामिल कर लें तो सितंबर में समाप्त हुई तिमाही में कुल 5.49 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं का ऐलान किया गया है। जून तिमाही में चुनावों के कारण नई परियोजना की घोषणाओं में सुस्ती देखी गई थी।
परियोजनाओं के पूरा होने की बात करें तो सितंबर तिमाही में जून तिमाही की तुलना में थोड़ी कमी देखी गई। निजी क्षेत्र और सरकार की कुल 80,000 करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाएं इस दौरान पूरी हुईं जबकि पिछले साल सितंबर तिमाही के दौरान 1.9 लाख करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाएं बनकर तैयार हो गई थीं।
परियोजनाओं के क्षेत्रवार आंकड़े देखें तो विनिर्माण क्षेत्र में सबसे अधिक मूल्य की परियोजनाओं की घोषणा की गईं। सितंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र से जुड़ी 3.39 लाख करोड़ रुपये मूल्य की नई परियोजनाओं का ऐलान किया गया। यह पिछले साल की समान अवधि की 1.4 लाख करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाओं से दोगुने से भी ज्यादा है। सेवाओं (वित्तीय सेवाओं को छोड़कर), निर्माण और रियल एस्टेट परियोजनाओं में भी तेजी आई है। बिजली क्षेत्री की नई परियोजनाओं में गिरावट आई है।
डीआर चोकसी फिनसर्व के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी के अनुसार नवीकरणीय ऊर्जा, धातु, औद्योगिक एवं आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में भी निवेश बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘ज्यादातर पैसा कंपनियां आंतरिक संसाधनों से जुटा रही हैं और परियोजनाओं के लिए इक्विटी के जरिये भी पैसे जुटाए जा रहे हैं।’
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक आनंद टंडन ने कहा कि इक्विटी पूंजी की आसान उपलब्धता से विस्तार योजनाओं को गति मिल रही है मगर बढ़ते पूंजीगत खर्च में बड़ा हिस्सा उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) जैसी सरकारी पहल की बदौलत आ रहा है। इसके साथ ही हाल के दिनों में सरकारी खर्च में वृद्धि हुई है जिसका असर निजी क्षेत्र के ऑर्डर पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की ओर से बढ़ावा नहीं मिलता तो जरूरी नहीं है कि बड़े स्तर पर क्षमता विस्तार पर कंपनियां निवेश के लिए आगे आतीं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार क्षमता उपयोग का मौजूदा स्तर मांग में कुछ सुधार का संकेत दे रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक का मार्च 2024 का ऑर्डर बुक, इन्वेंट्री और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण पिछले महीने जारी हुआ था।
इसमें कहा गया है, ‘समग्र स्तर पर विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में बढ़कर 76.8 फीसदी रहा जो इससे पिछली तिमाही में 74.7 फीसदी था। हालांकि मौसमी समायोजित क्षमता उपयोग 74.6 फीसदी पर स्थिर रहा।’ सिंतबर 2024 के ईवाई इकॉनमी वॉच रिपोर्ट के अनुसार भी निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ने का संकेत मिलता है।