भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और डिप्टी गवर्नरों ने मीडिया के साथ मौद्रिक नीति को लेकर विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश
पहली बार आपने कहा है कि नियामकों को बहुत ज्यादा सख्ती को लेकर भी सचेत रहना चाहिए। ऐसे में क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि इंटरबैंक कॉल दर, रीपो दर 6.5 फीसदी की ओर बढ़ेगी?
दास : हम हमेशा संतुलित तरीका अपनाते हैं। बहुत ज्यादा सख्ती को सचेत रहने के जिक्र की व्याख्या हमारे रुख में अवश्यंभावी बदलाव के तौर पर नहीं की जानी चाहिए। हमारे फैसले महंगाई और वृद्धि के मानकों पर निर्भर होते हैं। महंगाई हमारी अग्रणी प्राथमिकता बनी हुई है और कुछ महीने के अच्छे आंकड़ों को आत्मसंतुष्टि नहीं माना जाना चाहिए। हम इस समय किसी तरह की ढिलाई पर विचार नहीं कर रहे हैं।
पिछली नीतिगत घोषणा में असुरक्षित कर्ज पोर्टफोलियो को लेकर चेतावनी थी। कुछ कंपनियों ने कहा है कि वह 50,000 रुपये या छोटे आकार वाले कर्ज पर धीमा रुख अपना रहे हैं। क्या आपने इस सेगमेंट में कोई खास समस्या देखी है?
स्वामीनाथन जे : उस घोषणा में जिक्र किया गया था कि कुछ निश्चित सावधानी के लिए यह एहतियाती कदम है और कुछ निश्चित लेनदारों की तरफ से प्रदर्शित किए गए उत्साह को शायद समाप्त करना है। यह कोशिश पिछले तीन-चार महीने में प्रतिभागियों को आंतरिक नियंत्रण के पर्याप्त कदम उठाने के बारे में बताया गया था ताकि जोखिम को टालना सुनिश्चित हो।
चूंकि बाजार इस पर पर्याप्त प्रतिक्रिया नहीं जता रहा था और इसकी जरूरत थी। जैसा कि हम पहले कह चुके हैं कि हमने आंकड़े देखे और उसके आधार पर हमने कुछ निश्चित कदम उठाए, जिनका अनुपालन विनियमित इकाइयों को करना होगा।
ऐसे में यह निष्कर्ष निकालना अभी जल्दबाजी होगी कि यहां किस तरह का प्रभाव पड़ रहा था लेकिन बाजार के प्रतिभागियों के साथ हमारी बातचीत, वित्तीय व्यवस्था और कुछ लेख इस वास्तविकता को बता रहे हैं कि जोखिम प्रबंधन का इंतजाम बेहतर हो रहा है और संभावित तौर पर जोखिम बढ़ाने वाले कारोबारी मॉडलों को कम किया गया है।
यही हमारा इरादा है। यह वृद्धि को कम नहीं कर रहा है। हम उम्मीद करेंगे कि लेनदार खुद अपना कारोबारी मॉडल ऐसा बनाएं जहां जोखिम को टाला जा सके।
कोई कार्रवाई नहीं और मुद्रा की आपूर्ति घटाने वाले रुख को बरकरार रखने का हालिया संदेश बाजार के लिए तटस्थ रुख का संकेत है?
दास : नहीं, हमारा संदेश सावधानी से तैयार किया गया और और इसमें किसी तरह की असावधानी नहीं है। तटस्थ रुख की ओर बढ़ने की धारणा गलत होगी। महंगाई अभी भी 4 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर है और मौद्रिक नीति सक्रियतापूर्वक अवस्फीतिकारी बनी हुई है। तटस्थ रुख की ओर बढ़ने की व्याख्या गलत होगी।
इस बार आपने ओएमओ का जिक्र नहीं किया। क्या इसका मतलब यह है कि इस पर विचार नहीं हो रहा है या अभी भी यह एक विकल्प है?
दास : ऐसे कारकों से ओएमओ की जरूरत नहीं पड़ी, जो हमारे नियंत्रण से बाहर थे मसलन मुद्रा की त्योहारी सीजन में मांग और सरकार का नकद शेष। यह जरिया अभी भी बना हुआ है और नकदी की स्थिति के आधार पर जरूरत पड़ी तो इसका इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसा नहीं है कि इसे बंद रखने का फैसला हुआ है बल्कि इसकी जरूरत नहीं पड़ी है।