भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जुलाई में हेडलाइन यानी समग्र मुद्रास्फीति के लक्ष्य से नीचे आने के कारण नीतिगत रीपो दर में कटौती की संभावना से इनकार किया है। उच्च बेस इफेक्ट के कारण समग्र मुद्रास्फीति में यह गिरावट दिखी है।
टेलीविजन चैनल एनडीटीवी प्रॉफिट से बातचीत में दास ने कहा कि एक बार की गिरावट पर प्रतिक्रिया देना गलती होगी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक को एक टिकाऊ आधार पर मुद्रास्फीति के 4 फीसदी के लक्ष्य तक गिरने का इंतजार करना चाहिए।
दास ने कहा, ‘हम मुद्रास्फीति को टिकाऊ रूप से लक्ष्य के अनुरूप बनाए रखने की बात कर रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि उसे 4 फीसदी के आसपास होना चाहिए। साथ ही ऐसा केवल एक बार ही नहीं दिखना चाहिए। जुलाई में मुद्रास्फीति 3.5 फीसदी थी। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि समस्या खत्म हो गई है।’
उन्होंने कहा, ‘इसकी मुख्य वजह आधार प्र्रभाव थी। मगर हमारा मानना है कि इसे 4 फीसदी के आसपास होना चाहिए और हमें उसकी स्थिरता के बारे में आश्वस्त होना चाहिए। एक बार की घटना पर प्रतिक्रिया देना बड़ी नीतिगत गलती होगी।’
रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी 2023 से नीतिगत रीपो दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है। केंद्रीय बैंक ने खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी को देखते हुए अपने रुख को नरम करने से इनकार कर दिया है। दास ने कहा, ‘हमें धैर्य रखना होगा। अभी कुछ दूरी तय करना बाकी है।’
दास ने कहा, ‘हमें मुद्रास्फीति को नीचे लाने की जरूरत है। अगर हम सब्जियों के दाम अथवा खाद्य वस्तुओं की कीमतों को हटाकर देखते हैं तो आम लोगों के लिए वह भरोसेमंद नहीं होगा। इसलिए समग्र मुद्रास्फीति का एक अहम हिस्सा खाद्य मुद्रास्फीति है।’
दास ने कहा, ‘फिलहाल हमें पूरा भरोसा है कि मुद्रास्फीति में गिरावट आ रही है और यह 4 फीसदी के लक्ष्य तक आ जाएगी। इसके बावजूद, हमारा अनुमान है कि अनिश्चितताओं के कारण चालू वित्त वर्ष में औसत मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहेगी।’
उन्होंने आरबीआई के एक वर्ष से अधिक समय से सख्त रुख के कारण वृद्धि की रफ्तार में किसी भी तरह की कमी की आशंका से इनकार किया।