मांग में तेज सुधार ने भारतीय उद्योग जगत की क्रेडिट गुणवत्ता के बारे में उम्मीदें बढ़ा दी हैं। क्रिसिल के अनुसार इससे इस साल अक्टूबर और फरवरी के बीच क्रेडिट रेशियो 1 के नजदीक पहुंचने में मदद मिली।
इन पांच महीनों में 244 अपग्रेड दर्ज किए गए जबकि पूरी पहली छमाही में यह संख्या 208 थी। डाउनग्रेड बरकरार रहने का अनुमान है, क्योंकि ऋण भुगतान पर मोरेटोरियम की समाप्ति की वजह से कमजोर समझी जाने वाली कंपनियां प्रभावित हुई हैं।
क्रिसिल रेटिंग्स में मुख्य रेटिंग्स अधिकारी सुबोध राय ने कहा कि क्रेडिट रेशियो में सुधार को निर्माण, इंजीनियरिंग और विद्युत निर्माण जैसे कई क्षेत्रों में ज्यादा संख्या में अपग्रेड की वजह से मदद मिली थी। इसे लॉकडाउन में नरमी, मांग में सुधार और ऊंची जिंस कीमतों से मदद मिली। तुलनात्मक तौर पर, पहली छमाही के लिए यह अनुपात गिरकर 0.54 के एक दशक के निचले स्तर पर रह गया था।
गंभीर दबाव के बावजूद पिछले 11 महीनों में 55 प्रतिशत कम डाउनगे्र्र्रड दर्ज किया गया। इसकी मुख्य वजह आपात नियामकीय और नीतिगत सहायता (जैसे ऋण मोरेटोरियम, चूक पहचान में दिसंबर 2020 तक रियायत) थी। एकबारगी पुनर्गठन राहत और इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना से भी मदद मिली।
कंपनियों, और बैंकों तथा गैर-बैंकों के लिए, दबाव बढऩे की मात्रा पर भविष्य में नजर रखे जाने की जरूरत होगी, भले ही सुधरती मांग से कुछ राहत मिली है। क्रिसिल ने कहा है कि फार्मास्युटिकल और एग्रोकेमिकल जैसे क्षेत्रों ने लगातार मांग की वजह से अच्छा प्रदर्शन किया है।
महामारी की चुनौतीपूर्ण अवधि के दौरान भी इन क्षेत्रों के लिए ऋण अनुपात 1 से ऊपर बना रहा। निर्माण तथा इंजीनियरिंग, और खपत केंंद्रित क्षेत्रों (जैसे पैकेजिंग) में तेज सुधार देखा गया है। वृहद आर्थिक सुधार की मद से ऋण अनुपात पहली छमाही के मुकाबले पहले ही दोगुना हो गया है। रेटिंग एजेंसी का कहना है कि हालांकि होटलों और रिजॉट्र्स, रियल एस्टेट डेवलपर और हवाई अड्डा ऑपरेटर जैसे क्षेत्रों में डाउनग्रेड का सिलसिला बरकरार है।