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RBI Monetary Policy: जून महीने में कब होगी RBI MPC की मीटिंग, क्या होगा ब्याज दरों में बदलाव? जानें हर बात

RBI MPC: रेपो रेट सीधे बैंकों की लोन लेने की लागत को प्रभावित करती है, जिसका असर आगे चलकर बिजनेस और पर्सनल लोन की ब्याज दरों पर भी पड़ता है।

Last Updated- June 06, 2024 | 4:18 PM IST
RBI

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) छह सदस्यों वाली समिति है। यह समिति देश की ब्याज दरों को तय करने में अहम भूमिका निभाती है। इस समिति द्वारा तय की जाने वाली मुख्य ब्याज दर को रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट सीधे बैंकों की लोन लेने की लागत को प्रभावित करती है, जिसका असर आगे चलकर बिजनेस और पर्सनल लोन की ब्याज दरों पर भी पड़ता है। कुल मिलाकर, यह समिति देश के आर्थिक लैंडस्केप को काफी हद तक प्रभावित करती है।

RBI MPC: यह क्या करती है?

इस मौद्रिक नीति समिति (MPC) को साल में कम से कम चार बार मीटिंग करनी होती है। इन मीटिंगों में देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति का आंकलन किया जाता है, खासकर महंगाई (मुद्रास्फीति) और आर्थिक विकास के आंकड़ों पर गौर किया जाता है। इस विश्लेषण के आधार पर, समिति यह फैसला करती है कि:

  • रेपो रेट को यथावत रखा जाए
  • मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट बढ़ाया जाए ताकि बैंकों के लिए लोन लेना महंगा हो जाए और बाजार में पैसा कम हो जाए।
  • आर्थिक विकास को गति देने के लिए रेपो रेट घटाया जाए ताकि बैंकों के लिए लोन लेना सस्ता हो जाए और बाजार में पैसा ज्यादा उपलब्ध हो सके।
  • हर मीटिंग के बाद, समिति एक नीतिगत बयान जारी करती है, जिसमें लिए गए फैसलों और उनके पीछे के कारणों को बताया जाता है।

MPC के फैसलों का महत्व

भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के फैसलों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ता है:

  • मुद्रास्फीति (महंगाई) को नियंत्रित करना: रेपो रेट को ऊपर या नीचे करके MPC का लक्ष्य सरकार द्वारा निर्धारित सीमा के अंदर मुद्रास्फीति को बनाए रखना होता है।
  • आर्थिक विकास को गति देना: कम ब्याज दरें बैंकों से लोन लेने को सस्ता बनाती हैं, जिससे निवेश और कारोबार में बढ़ोतरी होती है। नतीजतन, देश का आर्थिक विकास गति पकड़ता है।
  • वित्तीय स्थिरता बनाए रखना: MPC के फैसले बाजार में पैसों की उपलब्धता और लोन फ्लो को प्रभावित करते हैं। इससे वित्तीय प्रणाली में स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलती है।

RBI मौद्रिक नीति जून 2024 की मीटिंग: किस तारीख को कितने बजे होगी?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की जून 2024 की बैठक 5 जून से 7 जून 2024 तक हो रही है। निर्णयों की आधिकारिक घोषणा सहित परिणाम अंतिम दिन, 7 जून को घोषित किए जाएंगे।

यह तीन दिवसीय बैठक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका समापन नीतिगत घोषणाओं के साथ होगा जो पूरे देश में बिजनेस और लोन लेने वालों को प्रभावित करेगा। ये साल की दूसरी ब्याज दरों पर बैठक है, इसलिए इस फैसले का आने वाले समय में ब्याज दरों और आर्थिक नीतियों पर काफी असर होगा।

रिज़र्व बैंक की जून 2024 की बैठक: क्या उम्मीद करें?

अर्थशास्त्रियों का आम अनुमान है कि रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ब्याज दरों को 6.5 प्रतिशत पर ही बनाए रखेगी। ऐसा इसलिए किया जा सकता है ताकि महंगाई को काबू में रखा जा सके और साथ ही अर्थव्यवस्था की गति भी बनी रहे।

इसके अलावा, रिज़र्व बैंक भविष्य में ब्याज दरों में बदलाव का संकेत देने वाली accommodation withdrawal पर लिए जाने वाले फैसले पर भी सबकी नज़र होगी। कर्ज लेने वालों और कारोबारियों को इस घोषणा का बेसब्री से इंतज़ार है, क्योंकि इसका सीधा असर लोन की लागत और निवेश गतिविधियों पर पड़ता है।

रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य कौन हैं?

MPC समिति की अध्यक्षता RBI गवर्नर करते हैं और इसमें तीन बाहरी सदस्य और RBI के अधिकारी शामिल होते हैं:

  • भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर – अध्यक्ष
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर (मुद्रा नीति प्रभारी) – सदस्य
  • केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित भारतीय रिज़र्व बैंक का एक अधिकारी – सदस्य
  • प्रो. अशिम गोयल, प्रोफेसर, इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान – सदस्य
  • प्रो. जयंत आर वर्मा, प्रोफेसर, IIM, अहमदाबाद – सदस्य
  • डॉ. शशांक भिड़े, वरिष्ठ सलाहकार, राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद, दिल्ली – सदस्य

First Published - June 6, 2024 | 4:18 PM IST

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