भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से लाभांश या अतिरिक्त रकम का स्थानांतरण अब केंद्र सरकार के लिए गैर कर राजस्वों के सबसे बड़े स्रोत में से एक है। पिछले सात वर्षों में केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक से रिकॉर्ड 5.45 लाख करोड़ रुपये हासिल किए हैं, जो सालाना आधार पर करीब 78,000 करोड़ रुपये बैठता है। वहीं मनमोहन सिंह की सरकार ने वित्त वर्ष 2005 से वित्त वर्ष 2011 के दौरान के सात वर्षों में रिजर्व बैंक से करीब 99,000 करोड़ रुपये की कमाई की थी। मनमोहन सिंह की अगुआई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने 10 वर्षों में करीब 2 लाख करोड़ रुपये की कमाई की जो सालाना आधार पर 20,000 करोड़ रुपये बैठती है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के छह वर्षों के कार्यकाल में यह रकम करीब 48,000 करोड़ रुपये रही थी। पिछले सात वर्षों में केंद्र सरकार के सभी गैर-कर राजस्वों में रिजर्व बैंक से मिलने वाले लाभांश की हिस्सेदारी करीब एक तिहाई थी। इसके उलट संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान केंद्र के गैर-कर राजस्वों में रिजर्व बैंक से होने वाली आमदनी केवल 16 फीसदी थी।
ऐतिहासिक तौर पर केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक की तुलना में ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, कोल इंडिया जैसी वाणिज्यिक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और भारतीय स्टेट बैंक तथा भारतीय जीवन बीमा निगम से अधिक मात्रा में इक्विटी लाभांश अर्जित किया। हालांकि, बाद में यह चलन तब बदल गया जब वाई एच मालेगाम तकनीकी समिति की सिफारिशों के आधार पर वित्त वर्ष 2013-14 के आरंभ से रिजर्व बैंक ने सरकार को करीब 100 फीसदी अधिशेष देना आरंभ कर दिया।
2019 में केंद्रीय बैंक ने बिमल जालान समिति की सिफारिशों के आधार पर 52,637 करोड़ रुपये का विशेष लाभांश भी दिया। यह रकम संशोधित आर्थिक पूंजी ढांचा (ईसीएफ) के मुताबिक दी गई थी। इस रकम को रिजर्व बैंक द्वारा विगत में किए गए अतिरिक्त प्रावधानों के तौर चिह्नित किया गया और इसे सरकार को लौटाई गई थी। इसी तरह से पिछले कुछ वर्षों में आद्योगिक सुस्ती और जिंसों की कम कीमतों के कारण वित्त वर्ष 2021 की पहली छमाही तक वाणिज्यिक पीएसयू के लाभ को धक्का लगा है। अधिकांश नकदी संपन्न पीएसयू जैसे कि कोल इंडिया और राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) के भी संचित नकद भंडार में कमी आई है जिसके कारण उन्हें बड़े आकार वाले विशेष लाभांश के भुगतान में कठिनाई आ रही है।
संप्रग सरकार के वर्षों के दौरान लाभांश के आंकड़ों में भारतीय स्टेट बैंक में केंद्रीय बैंक की हिस्सेदारी के हस्तांतरण पर रिजर्व बैंक और सरकार के बीच परिपत्र लेनदेन शामिल नहीं था। 2008 में सरकार ने 35,531.33 करोड़ रुपये में एसबीआई में रिजर्व बैंक की 59.7 फीसदी की समूची हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर लिया था। इसके बाद रिजर्व बैंक ने विशेष लाभांश के रूप में इस रकम को सरकार को लौटाया था।
रिजर्व बैंक को लाभांश वेतन और मजदूरी तथा प्रतिष्ठान के खर्चों के बाद बची हुई आमदनी से प्राप्त होता है। रिजर्व बैंक घरेलू बॉन्डों (रुपये मूल्य वर्ग) और विदेशी बॉन्डों के अपनी होल्डिंग पर ब्याज की कमाई करता है। इसके अलावा उसे विनिमय दर में बदलाव के कारण विदेशी मुद्रा संपत्ति के मूल्य में इजाफा होने पर भी लाभ होता है। वह सरकारी बॉन्ड की खरीद और बिक्री कार्यक्रम के प्रबंधन से भी कमिशन की कमाई करता है।