आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि संरक्षणवाद बढ़ने के कारण वैश्विक व्यापार की स्थिति बदलने के साथ ही अनिश्चितता बढ़ रही है। ऐसे में भारत को निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए लागत घटाकर और सुविधा में सुधार करके व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने की जरूरत होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हाल के वर्षों में वैश्विक व्यापार की स्थिति में उल्लेखनीय बदलाव हुआ है। वैश्वीकरण से हटते हुए अब व्यापार संरक्षण बढ़ रहा है और अनिश्चितता भी बढ़ी है। इसे देखते हुए भारत के लिए नए रणनीतिक खाके की जरूरत है।’ इसमें कहा गया है, ‘व्यापार प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है। अच्छी खबर यह है कि ऐसा करना पूरी तरह हमारे हाथ में है। इसके लिए उद्योग को निश्चित रूप से गुणवत्ता पर निवेश जारी रखना होगा।’
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि प्रतिकूल भू राजनीतिक स्थितियों के बावजूद भारत के विदेश व्यापार का प्रदर्शन बेहतर है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पूंजी के मोर्चे पर देखें तो अर्थव्यवस्था में शुद्ध धनात्मक पूंजी प्रवाह हुआ है।’ सकल एफडीआई प्रवाह में उच्च वृद्धि दर का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 के पहले 8 महीनों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में आवक बढ़ी है।
इसमें कहा गया है, ‘हालांकि इसकी वापसी बढ़ने से शुद्ध एफडीआई वृद्धि पर लगाम लगी है। वित्त वर्ष 2025 के पहले 9 महीनों के दौरान एफडीआई की आवक में उतार-चढ़ाव रहा है, जिससे मिले- जुले रुझानों का पता चलता है।’
समीक्षा में कहा गया है कि भारत का विदेशी कर्ज पिछले कुछ वर्षों में स्थिर रहा है। इसमें कहा गया है, ‘स्थिर विदेशी कर्ज की स्थिति से बाह्य क्षेत्र की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली है। ऐसी स्थिति में यह और उल्लेखनीय हो जाता है, जब विश्व के अन्य देश भूराजनीतिक अस्थिरता से प्रभावित हैं।’विदेशी कर्ज और विदेशी मुद्रा भंडार का अनुपात सितंबर 2024 के अंत में घटकर 18.9 प्रतिशत रह गया है जो जून 2024 के अंत में 20.3 प्रतिशत था।
समीक्षा में यह भी कहा गया है कि वास्तविक प्रभावी विनिमय दर (रीर), जिससे मुद्रा की वास्तविक क्रय शक्ति का पता चलता है, अप्रैल 2024 के 103.2 से बढ़कर दिसंबर 2024 में 107.2 हो गई है। समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 के शुरुआती 5 महीनों में रुपये में 2.9 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई है और उसने जिसने अन्य मुद्राओं जैसे कनाडा के डॉलर, दक्षिण कोरिया के वॉन और ब्राजील के रील से बेहतर प्रदर्शन किया है, जिनमें इस दौरान क्रमशः 5.4 प्रतिशत, 8.2 प्रतिशत और 17.4 प्रतिशत की गिरावट आई है।
इसमें कहा गया है, ‘2024 में रुपये में गिरावट की एक प्राथमिक वजह यह है कि पश्चिम एशिया में भू राजनीतिक तनावों तथा अमेरिका में चुनाव परिणामों को लेकर अनिश्चितता के कारण डॉलर मजबूत हुआ है।’ सितंबर 2024 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार उसके कुल 711.8 अरब डॉलर ऋण का करीब 90 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है कि बाहरी अस्थिरता को लेकर यह एक मजबूत भंडार है।