सरकार कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण हालिया अड़चनों के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय व्यापार में तेजी से बदलते परिदृश्य को देखते हुए दो से तीन साल की छोटी अवधि के लिए नई विदेश व्यापार नीति ला सकती है।
विदेश व्यापार नीति वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत नीतिगत दिशानिर्देश और रणनीति का काम करती है। मौजूदा नीति 1 अप्रैल, 2015 को लागू हुई थी, जो पांच साल के लिए मान्य है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम दो से तीन साल के लिए विदेश व्यापार नीति ला सकते हैं, जिसे सितंबर से पहले जारी करने का लक्ष्य है। पहले हम विदेश व्यापार नीति में वित्तीय प्रोत्साहन शामिल करते थे मगर अब ऐसा नहीं होगा।
निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार पहले ही आरओएससीटीएल और आरओडीटीईपी जैसी योजनाएं ला चुकी है और उन्हें लागू करने के लिए नई विदेश व्यापार नीति का इंतजार नहीं किया गया। समय-समय पर नीति की समीक्षा करना भी महत्त्वपूर्ण है और छोटी समयावधि से भी मदद मिलेगी।’ उन्होंने कहा, ‘पांच साल की विदेश व्यापार नीति पंचवर्षीय योजना के अनुरूप थी मगर अब वह योजना ही नहीं है।’
उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि छोटी अवधि के लिए विदेश व्यापार नीति लाना अच्छा कदम होगा क्योंकि दो साल में आम चुनाव भी होने हैं। उक्त अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘ऐसा करना वाकई तार्किक है। नई सरकार (मौजूदा या कोई अन्य) को नई नीति घोषित करना चाहिए क्योंकि उसका विचार या एजेंडा अगल हो सकता है।’
मौजूदा नीति को अवधि पूरी होने के बाद दो साल से ज्यादा बढ़ा दिया गया था और अब नई नीति की बेसब्री से प्रतीक्षा की जा रही है। कोविड-19 महामारी के कारण व्यापार में बाधा आने के कारण नई विदेश व्यापार नीति टाल दी गई थी और पुरानी नीति को ही 30 सितंबर, 2022 तक बढ़ा दिया गया था। नई नीति घोषित करने में अब कोई परेशानी नहीं है क्योंकि इसमें किसी नई प्रोत्साहन योजना का ऐलान शायद नहीं होगा।
निर्यातकों को अभी ब्याज समानीकरण योजना, परिवहन सब्सिडी योजना, राज्य और केंद्रीय करों एवं शुल्कों में छूट तथा निर्यात किए गए उत्पादों पर शुल्क एवं करों की प्रतिपूर्ति जैसी मदद मिल रही है। विश्व व्यापार संगठन के प्रावधानों की वजह से विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं पहले ही खत्म हो चुकी हैं।
सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद के चेयरमैन सुनील एच तलाती ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए 350 अरब डॉलर के सेवा निर्यात का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य देखते हुए आगामी विदेश व्यापार नीति में वित्तीय प्रोत्साहन की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा, ‘सरकार ने स्पष्ट किया है कि सेवा निर्यात (एसईआईएस) योजना समाप्त हो जाएगी।
ऐसे में हमने विदेश व्यापार महानिदेशालय से अनुरोध किया है इस योजना को आगामी विदेश व्यापार नीति में शामिल किया जाए, भले ही इसके नियम पहले की तुलना में थोड़े सख्त हों।’ शिक्षा, विमानन, पर्यटन और आतिथ्य जैसे क्षेत्रों के अलावा अन्य क्षेत्रों पर भी मार पड़ी है, ऐसे में बेहतर प्रोत्साहन लागू करने की जरूरत है। आगामी विदेश व्यापार नीति में ‘जिला ही निर्यात केंद्र’ योजना को प्रमुखता से शामिल किया जा सकता है। इसके तहत उन 50 जिलों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जहां के उत्पादों के निर्यात की व्यापक संभावना है। यह केंद्र प्रायोजित योजना होगी। इसमें अधिकतर अंशदान केंद्र का होगा और बाकी राशि राज्य खर्च करेंगे। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अजय सहाय ने कहा, ‘विदेश व्यापार नीति में ई-कॉमर्स रिटेल निर्यात को बढ़ावा दिया जा सकता है क्योंकि ई-कॉमर्स कारोबार काफी तेजी से विकास कर रहा है। हमें वित्तीय लाभ की संभावना नहीं दिख रही। निर्यातकों को इससे जो भी लाभ होगा वह सामान्य होगा। ई-कॉमर्स में जितने भी निर्यातक हैं, वे नए हैं।’