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राज्यों को पूंजीगत व्यय सहायता बन सकता है नियमित बजटीय आवंटन

Last Updated- December 11, 2022 | 9:08 PM IST

केंद्र राज्यों को बजट के माध्यम से पूंजीगत व्यय सहायता को बजट का एक नियमित हिस्सा बना सकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी मिली है। ऐसा इसलिए किया जा सकता है कि राज्यों द्वारा जन परिवहन, ग्रामीण सड़कों, राज्य राजमार्ग जैसे काफी सारे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है और इनमें से कई को अपनी क्षमताओं में विस्तार के लिए बहु वर्षीय सहयोग की जरूरत होगी।
पूंजी निवेश के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता की योजना के तहत वित्त वर्ष 2021-22 में राज्यों को 15,000 करोड़ रुपये का 50 वर्ष के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिया गया था और वित्त वर्ष 2023 के लिए इस रकम को बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह रकम अगले वर्ष के लिए केंद्र के 7.5 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय परिव्यय का हिस्सा है।     
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘आगे चलकर यह बजट का एक नियमित हिस्सा बन सकता है और बुनियादी ढांचे को बल देने के लिए इसकी आवश्यकता पड़ेगी। विभिन्न राज्यों की क्रियान्वयन क्षमता को बढ़ाना होगा। अधिक अवशोषण क्षमता वाले राज्य तेजी से क्रियान्वयन करेंगे और निवेश आकर्षित करने में अग्रणी रहेंगे। इस बीच अन्य राज्यों को अपनी क्षमताएं विकसित करने की आवश्यकता होगी।’
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024 से सीमावर्ती और पूर्वोत्तर राज्यों सहित कम बुनियादी ढांचे वाले राज्यों की सहायता के लिए योजना में बदलाव किया जाएगा। केंद्र के स्तर पर मानना है कि तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और गुजरात परियोजनाओं को बेततर तरीके से लागू करेंगे और इसके आधार पर योजना से वित्त वर्ष 2023 में अधिक रकम हासिल कर पाएंगे।
अपने बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि राज्यों को दिए जाने वाले दीर्घावधि ऋण का उपयोग पीएम गतिशक्ति योजना और अन्य उत्पादक पूंजी निवेश के लिए किया जाएगा।
इसमें राज्यों की हिस्सेदारी को सहायता देने सहित प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के प्रमुखता वाले खंडों के लिए पूरक फंडिंग के घटकों, डिजिटल भुगतानों और ओएफसी नेटवर्क को पूरा करने सहित अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण, उपनियम बनाने संबंधी सुधार, शहरी नियोजन योजनाएं, पारगमन उन्मुख विकास और स्थानांतरणीय विकास अधिकारों को भी शामिल किया जाएगा।
तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों के नेताओं ने इस घोषणा को संघीय ढांचे के खिलाफ बताया था और इसे गति शक्ति परियोजनाओं से जोडऩे को दोषपूर्ण करार दिया था। हालांकि, केंद्र सरकार के अधिकारियों ने संकेत किया कि गति शक्ति कोई केंद्र की अलग योजना न होकर एक पोर्टल या विभिन्न केंद्रीय विभागों, राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए डैशबोर्ड है जिसके जरिये परियोजना क्रियान्वयन का बेहतर तरीके से समन्वय किया जाएगा।
बहरहाल, राज्य सरकार की परियोजनाएं 111 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन का हिस्सा है जिन पर पहले से गति शक्ति के जरिये नजर रखी जा रही है।  उक्त अधिकारी ने कहा कि चूंकि 1 लाख करोड़ रुपये की योजना राज्यों की वित्तीय जिम्मेवारी और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) सीमाओं से अलग है ऐसे में वे अपने राजस्वों तथा प्रशासनिक और कल्याण योजना के खर्चों के लिए ली गई उधारी से प्राप्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

First Published - February 20, 2022 | 11:12 PM IST

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