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राजस्व विभाग के पुनर्गठन पर हो रहा विचार

Last Updated- December 12, 2022 | 9:02 AM IST

पहचान रहित (फेसलेस) आकलन और प्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क में अपील जैसे प्रशासनिक सुधारों के बाद सरकार राजस्व विभाग का पुनर्गठन करने की योजना बना रही है।
इस मामले के जानकार लोगों ने कहा कि सरकार केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो (सीईआईबी) में सुधार करने और मजबूती लाने जैसे उपायों का आकलन कर रही है।
एक विकल्प यह बताया जा रहा है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) दोनों के खूफिया और जांच इकाइयों को सीईआईबी के तहत रखा जाए।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कुछ समय से पुनर्गठन के क्रियाकलाप को लेकर चर्चा चल रही है, अंतिम निर्णय लिया जाना अभी भी बाकी है।’
इस संरचना के तहत महानिदेशक या डीजी (जांच), डीजी (वस्तु एवं सेवा कर खुफिया), राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई), प्रवर्तन निदेशालय आदि सभी को सीईआईबी के प्रशासनिक और निगरानी क्षेत्राधिकार के तहत रखा जा सकता है।
इसके अलावा, कर शोध इकाई (टीआरयू) और कर नीति और विधान (टीपीएल) खंड को अतिरिक्त सचिव, राजस्व के अंतर्गत रखा जा सकता है। इस विचार का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सीबीडीटी और सीबीआईसी दोनों बोर्ड पूरी तरह से राजस्व संग्रह पर ध्यान दें।
सीईआईबी की स्थापना 1985 में हुई थी और आर्थिक खूफिया के लिए यह नोडल एजेंसी है। यह राजस्व विभाग के भीतर आर्थिक अपराधों पर नजर रखने वाली एजेंसियों और आईबी, रॉ, सीबीआई आदि सहित अन्य खूफिया तथा प्रवर्तन एजेंसियों से समन्वय करता है।
फिलहाल, इसके तीन खंड हैं- प्रशासनिक और समन्वय खंड (एसी), आर्थिक खूफिया खंड और विदेशी मुद्रा का संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम खंड।
सीईआईबी की भूमिका कर चोरी के लिए कार्य प्रणाली पर विभिन्न राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों को सूचना साझा करने और प्रसारित करने के लिए एक मंच प्रदान करना है।
क्या सीबीडीटी और सीबीआईसी का विलय कर दिया जाए इस पर भी चर्चा की जा रही है। हालांकि, कुछ महीने पहले, राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया था कि वह दोनों बोर्डों के विलय को लेकर किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा है।
पार्थसारथी सोम की अगुआई वाली कर प्रशासन सुधार आयोग (टीएआरसी) की सिफारिशों में से एक सिफारिश विलय का था। आयोग ने 2016 में अपनी रिपोर्ट जमा कराई थी।
उसने कहा था सरकार ने विस्तार से टीएआरसी की रिपोर्ट का आकलन किया है और इस सिफारिश को स्वीकार नहीं किया गया है। 550 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बेहतर कर प्रशासन हासिल करने के लिए दोनों बोर्डों को निश्चित तौर पर चयनित सम्मिलन पर कार्य करना शुरू करना चाहिए और अगले पांच वर्ष में एक एकीकृत प्रबंधन ढांचे की ओर बढऩा चाहिए जिसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के लिए एक साझा बोर्ड हो।’
हालांकि, रिपोर्ट में जांच खंड को पुर्नगठित करने पर बात नहीं हुई है। एक अन्य विकल्प सीईआईबी को गृह मंत्रालय (एमएचए) के अंतर्गत लाना है और नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो का सीईआईबी में विलय करना है। एक नए ढांचे के तहत सभी जांच विभागों के विलय पर भी विचार किया जा रहा है।
अगस्त 2019 में सरकार ने करदाता और कर प्राधिकारी के मध्य भौतिक हस्तक्षेप को समाप्त करने के लिए प्रत्यक्ष करों में फेसलेस आकलन की शुरुआत की थी। सितंबर में वह अपनी फेसलेस अपील तंत्र लेकर आई थी। 

First Published - January 29, 2021 | 11:55 PM IST

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