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एमएसएमई के दायरे में खुदरा और थोक व्यापार

Last Updated- December 12, 2022 | 3:05 AM IST

केंद्र सरकार ने थोक और खुदरा व्यापार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) में शामिल करने के लिए आज नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। सरकार के इस कदम से कोरोना महामारी से प्रभावित तकरीबन 2.5 लाख थोक और खुदरा व्यापारियों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने पहले कहा था कि खुदरा और थोक व्यापार एमएसएमई के तहत नहीं था। लेकिन सरकार के इस निर्णय से छोटे व्यापारी भी अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा वर्गीकृत प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत ऋण के पात्र हो जाएंगे।
आधिकारिक आदेश में कहा गया है, ‘सरकार के सामने कई प्रस्तुतियां हुईं और खुदरा तथा थोक व्यापार को एमएसएमई में शामिल करने का निर्णय किया गया। इन कारोबार को उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकृत कराने की अनुमति होगी। लेकिन खुदरा और थोक व्यापार वाले एमएसएमई का लाभ प्राथमिक क्षेत्र की उधारी तक ही सीमित होगा।’
इसका मतलब है कि प्राथमिक क्षेत्र तहत उधारी के अलावा इन व्यापारियों को सरकार द्वारा छोटे कारोबारों को दिया जा रहा कोई भी अन्य लाभ नहीं मिलेगा। उद्यम पंजीकरण पोर्टल पर एक पृष्ठ में पंजीकरण करना होता है और एमएसएमई के तहत किसी उद्यम को पंजीकृत कराने की प्रक्रिया को काफी सरल बनाया गया है।
पहले थोक और खुदरा व्यापार की गतिविधियों को एमएसएमई के तौर पर वर्गीकृत किया गया था, लेकिन 2017 में इसे उस दायरे से बाहर कर दिया गया क्योंकि ये विनिर्माण गतिविधि से नहीं जुड़े थे। केंद्र की सभी वर्तमान योजनाओं जैसे पूंजी सब्सिडी योजना, स्फूर्ति आदि का उद्देश्य पारंपरिक उद्योगों को सहायता प्रदान करना है।
व्यापारिक संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, ‘कोविड महामारी से प्रभावित व्यापारी अब बैंकों से जरूरी ऋण लेकर अपना कारोबार नए सिरे से शुरू करने में सक्षम होंगे। पहले बैंक उन्हें कर्ज देने से मना कर देते थे।’
कुछ छोटे कारोबारियों ने अपनी चिंता भी जाहिर की है। भारतीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों के महासंघ (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा कि चिंता इस बात की है कि खुदरा और थोक व्यापारी को एमएसएमई के तहत प्राथमिक क्षेत्र उधारी में शामिल करने पर बैंक छोटी विनिर्माण इकाइयों की जगह उन्हें ही कर्ज देने पसंद कर सकते हैं। ऐसे में सीमित धनराशि के लिए प्रतिस्पद्र्घा बढ़ जाएगी।
भारद्वाज ने कहा, ‘बैंक कर्ज देने के लिए हमेशा कम जोखिम वाले कारोबार को तरजीह देते हैं और खुदरा तथा थोक व्यापार विनिर्माण की तुलना में कम जोखिम वाला है। इससे पूरे क्षेत्र पर असर पड़ सकता है। हालांकि आदेश में कहा गया है कि खुदरा और थोक व्यापार को केवल उधारी के लिए ही प्राथमिक क्षेत्र माना जाएगा, लेकिन विनिर्माण एमएसएमई को लगता है कि पंजीकरण के बाद इस व्यवसाय को भी सरकारी खरीद आदि में तवज्जो दी जा सकती है। इस चिंता को अनदेखा नहीं किया जा  सकता है।’

First Published - July 2, 2021 | 11:27 PM IST

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