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खुदरा महंगाई 6 फीसदी से नीचे

Last Updated- December 12, 2022 | 11:06 PM IST
खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव की अनदेखी संभव नहीं- RBI गवर्नर शक्तिकांत दासRBI MPC Meet: It is not possible to ignore the pressure of food inflation – RBI Governor Shaktikanta Das

देश की खुदरा महंगाई (मुद्रास्फीति) दर नवंबर में अप्रत्याशित तौर पर घटकर 11 महीने के निचले स्तर पर आ गई। हालांकि अक्टूबर में कारखानों का उत्पादन कम होकर 26 माह के निचले स्तर पर आ गया। इससे केंद्रीय बैंक के लिए फरवरी में प्रस्तावित नीतिगत बैठक से पहले दर में वृद्धि चक्र को समाप्त करने का एक और मजबूत आधार दिख रहा है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.88 फीसदी रही जो भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति के 6 फीसदी के ऊपरी दायरे से कम है। खाद्य पदार्थों के दाम घटने की वजह से बीते 10 महीने में पहली बार खुदरा महंगाई केंद्रीय बैंक के लक्षित दायरे से नीचे आई है। वैसे, औसत मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाही से 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है।

हालांकि उद्योगों के उत्पादन ने थोड़ा निराश किया है। अक्टूबर में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 5.6 फीसदी के संकुचन की वजह से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 4 फीसदी की गिरावट आई।

मुद्रास्फीति में नरमी मुख्य रूप से सब्जियों (8.08 फीसदी) और फलों (2.62 फीसदी) की कीमतें कम होने की वजह से आई है। अंडे, दालों और मसालों की कीमतों में तेजी बनी हुई है। हालांकि मुख्य मुद्रास्फीति जिसमें खाद्य पदार्थ और ईंधन शामिल नहीं होते हैं, नवंबर में 6.3 फीसदी रही जो अक्टूबर में 6.2 फीसदी थी। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल में मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद मुख्य मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘खाद्य कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों ने मुद्रास्फीति को आरबीआई के लक्षित दायरे 6 फीसदी से नीचे लाने में मदद की। अनाज, दालों और खाद्य तेलों की कीमतों में नरमी लाने के लिए व्यापार संबंधी उपयुक्त उपाय किए गए हैं। आने वाले महीनों में इन उपायों का असर और दिख सकता है।’

भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि फरवरी में रीपो दर में 25 आधार अंक की वृद्धि की अब न्यूनतम संभावना है। उन्होंने कहा, ‘यदि ऐसा होता है तो इसके साथ केंद्रीय बैंक का रुख बदल कर तटस्थ हो सकता है। लेकिन 1 फरवरी को बजट के ठीक बाद 6-8 फरवरी को मौद्रिक नीति समिति की बैठक होगी और 31 जनवरी से 11 फरवरी के बीच अमेरिकी फेडरल रिजर्व का नीतिगत बयान आएगा। उस लिहाज से आरबीआई फरवरी में विचारशील दृष्टिकोण जाहिर करने की सहज स्थिति में होगा।’

हालांकि इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति के आरबीआई के लक्ष्य से नीचे रहने लेकिन मुख्य मुद्रास्फीति के लगातार ऊपर बने रहने से केंद्रीय बैंक के पास मुद्रास्फीति को काबू में करने के उपाय से पीछे हटने की गुंजाइश नहीं होगी। आईआईपी में प्राथमिक उत्पादों और बुनियादी ढांचा समूह को छोड़कर सभी में गिरावट आई है। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के उत्पादन में 15.3 फीसदी का संकुचन आया है। गैर-ड्यूरेबल्स में भी 13.4 फीसदी की गिरावट आई है, जो अर्थव्यवस्था में कमजोर मांग का संकेत देता है।

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा कि वैश्विक नरमी का असर आने वाले साल में औद्योगिक उत्पादन के परिदृश्य पर व्यापक तौर पर दिख सकता है।

First Published - December 12, 2022 | 11:04 PM IST

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