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राजस्व 7 लाख करोड़ रुपये कम रहने का अंदेशा

Last Updated- December 12, 2022 | 9:21 AM IST

कर संग्रह और सरकारी संस्थाओं के विनिवेश से मिलने वाली प्राप्तियां चालू वित्त वर्ष में बजट अनुमान से 7 लाख करोड़ रुपये कम रह सकती हैं। दो वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। वित्त वर्ष 2021 के बजट में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर से 24.23 लाख करोड़ रुपये और विनिवेश से 2.10 लाख करोड़ रुपये आने का अनुमान था। इस प्रकार कुल 26.33 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान जताया गया था। संशोधित अनुमान से पता चलता है कि कुल मिलाकर करीब 19.33 लाख करोड़ रुपये या बजट अनुमान से 26.58 फीसदी कम राजस्व मिल सकता है।     
उक्त दो अधिकारियों में से एक ने कहा कि कर के मोर्चे पर केंद्र का आंतरिक अनुमान बताता है कि यदि सरकार कर संग्रह में कोविड से पूर्व यानी जनवरी से मार्च 2019-20 के स्तर पर पहुंचती है तब भी 2020-21 के लिए सकल कर राजस्व में बजट अनुमान से करीब 5 लाख करोड़ रुपये की कमी आ सकती है।
दूसरी तरफ एयर इंडिया, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और भारतीय कंटेरनर निगम लिमिटेड (कॉनकॉर) की बिक्री प्रक्रिया पूरी नहीं होने से केंद्र को वित्त वर्ष 2021 के अंत में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के विनिवेश से मिलने वाली अनुमानित रकम प्राप्त नहीं हो पाएगी।  केवल कर आंकड़ों पर ध्यान दें तो अप्रैल और दिसंबर 2020 के बीच प्रत्यक्ष कर संग्रह में 12 फीसदी की नकारात्मक वृद्घि दर रही है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में भी कमी आने का भय है। दिसंबर में 1.15 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड संग्रह होने के बावजूद चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में कुल संग्रह 14.9 फीसदी कम होकर 7.79 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 9.09 लाख करोड़ रुपये रहा था।     
सूत्रों ने बताया कि सरकार की ओर से रणनीतिक बिक्री के लिए नोडल विभाग के तौर पर निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने विनिवेश में कमी की वजह महामारी को बताया है जबकि बाजारों में असाधारण उछाल देखने को मिली है।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में शेयरों की अदला बदली जैसे हिंदुस्तान पेट्रोलियम के शेयर को किसी अन्य सरकारी निकाय में डालने और भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड में चालू शेयर बिक्री के अलावा अब तक इस दिशा में बहुत कुछ नहीं हुआ है।
इसके जरिये सरकार को 40,000 करोड़ रुपये की कमाई हुई है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि विनिवेश में देरी तैयारियों और बड़े आकार के विनिवेश के लिए जरूरी जमीनी कार्य के नहीं होने से हुई है। इस साल अधिक मूल्यांकन प्राप्त हो सकता है।   
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘विनिवेश के सदर्भ में यह स्पष्ट है कि लक्ष्य पूरा नहीं होगा क्योंकि ठोस कदम नहीं उठाए गए। पहली छमाही में महामारी पर काबू पाने में बहुत अधिक समय लिया गया और साल के दूसरी छमाही में सरकार ने अच्छे मूल्यांकन का अवसर गंवा दिया।’
उन्होंने कहा कि विशेष तौर पर दूसरी छमाही में किसी भी विनिवेश को अच्छा मूल्यांकन मिल सकता था। सबनवीस ने कहा, ‘इसे अगले वित्त वर्ष में नहीं दोहराया जा सकता है।’
क्रिसिल रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा कि राजस्व प्राप्ति के कम रह जाने में कुछ भी आश्यर्चजनक नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘पिछले वर्ष जब बजट बनाया गया था तब महामारी का कोई संकेत नहीं था। यह अचानक से आया और कुछ इस तरह से आया जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता था। इसलिए इसमें कोई आश्यर्च नहीं कि कर संग्रह लक्ष्य से कम है। यदि अर्थव्यवस्था में 7.7 फीसदी का संकुचन आने का आसार है तो फिर कर संग्रह लक्ष्य तक पहुंचने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? हालांकि, कर संग्रह में सुधार आया है लेकिन हमें इसके कम रहने का भय है।

First Published - January 22, 2021 | 11:32 PM IST

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