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केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा

Last Updated- December 12, 2022 | 2:26 AM IST

वित्त मंत्रालय ने सभी सरकारी विभागों और मंत्रालयों को अभी चल रही केंद्र प्रायोजित योजनाओं तथा केंद्रीय योजनाओं का पुनर्मूल्यांकन करने और उन्हें अगले पांच साल के लिए नए सिरे से तैयार करने का निर्देश दिया है। सभी को इस बारे में अपने प्रस्ताव 31 जुलाई तक वित्त मंत्रालय के पास भेजने हैं।
इस कवायद में प्रत्येक योजना के लिए बजट आवंटन का नए सिरे मुल्यांकन किया जा सकता है और पिछले कुछ वर्षों में अप्रासंगिक हो चुके हिस्सों को हटाया जा सकता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘वित्त मंत्रालय ने हमें सूचित किया है कि प्रत्येक मंत्रालय को अगले पांच साल (2021-26) के लिए योजनाओं की नए सिरे से मंजूरी लेनी होगी। योजनाओं को नए वित्त आयोग की रिपोर्ट की अनुशंसा के आधार पर मंजूरी लेनी होगी।’
उक्त अधिकारी ने कहा, ‘हम सभी योजनाओं का तीसरे पक्ष से मूल्यांकन करा रहे हैं और उसके बाद व्यय विभाग से मंजूरी ली जाएगी। प्रत्येक मंत्रालय से संबंधित हरेक योजना का मूल्यांकन किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर समय के साथ कुछ योजनाओं के हिस्से अप्रासंगिक हो गए होंगे। इसलिए इन योजनाओं को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है।’
वित्त मंत्रालय ने पहले ही कहा था कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार केंद्र प्रयोजित 131 योजनाओं की संख्या कम की जाएगी और अप्रासंगिक हो चुकी योजनाएं बंद की जाएंगी। 2021-26 के लिए 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र प्रायोजित 30 प्रमुख योजनाओं में से 15 को सभी योजनाओं के कुल आवंटन का करीब 90 फीसदी दिया जाता है। कई प्रमुख योजनाओं के तहत छोटी-छोटी योजनाएं भी शामिल होती हैं और उनमें से कुछ के लिए नहीं के बराबर आवंटन होता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘योजनाओं के लिए सालाना आवंटन की न्यूनतम सीमा तय की जानी चाहिए और उससे कम आवंटन वाली योजनाएं बंद कर दी जानी चाहिए। एक निश्चित अवधि के भीतर सभी योजनाओं का तीसरे पक्ष से मूल्यांकन कराया जाना चाहिए।’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार को केंद्र प्रायोजित योजनाओं की समीक्षा कर उनकी संख्या घटानी चाहिए ताकि अनावश्यक खर्च घटाया जा सके।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि योजनाओं को नए सिरे मंजूरी देने की प्रक्रिया चल रही है और मंत्रालय योजनाओं को जारी रखने या कुछ को बंद करने का प्रस्ताव भेज रहे हैं। केंद्र की 131 योजनाओं में से एक तिहाई समीक्षा के बाद खत्म हो सकती हैं। लेकिन वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि योजनाओं के समेकित व्यय में कमी नहीं आएगी क्योंकि कुछ नई योजनाएं भी जोड़ी गई हैं। अधिकारी ने कहा कि दो-तिहाई योजनाएं जारी रहेंगी। उन्होंने कहा कि कई ऐसी योजनाएं वर्षों से चली आ रही हैं और हर साल उनके आवंटन में करीब 10 फीसदी इजाफा भी किया जाता है मगर उनकी अधिक जरूरत नहीं रह गई है। उन योजनाओं को हटाने पर विचार किया जा रहा है, जो काफी छोटी हैं और जिनकी कोई तुक नहीं है। उदाहरण के लिए पोषण और पशुपालन से संबंधित योजनाओं की संख्या इस साल के बजट में कम की गई है।
इसके साथ ही इस साल के बजट में कुछ नई केंद्र प्रायोजित योजनाएं शुरू भी की गई हैं, जिनमें मिशन शक्ति, सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 तथा राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना शामिल हैं।
केंद्र प्रायोजित योजनाओं का आवंटन 2020-21 के बजट अनुमान की तुलना में 2021-22 में 12.8 फीसदी बढ़ा है। लेकिन वास्तविक आवंटन वित्त वर्ष 2021 के संशोधित अनुमान से 1.7 फीसदी कम रहा क्योंकि सरकार ने महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए खर्च बढ़ाया था।
केंद्रीय योजनाओं का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करती है जबकि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार संयुक्त रूप से खर्च का वहन करती है।
केंद्र सरकार की छह सबसे प्रमुख योजनाओं में राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम और महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कार्यक्रम शामिल हैं।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह पहला मौका नहीं है जब इस तरह की कवायद की जा रही है। एक दशक पहले बीके चतुर्वेदी समिति ने भी केंद्र प्रायोजित योजनाओं के पुनर्गठन और उनकी संख्या घटाकर आधी से भी कम करने की अनुशंसा की थी।
बेंगलूरु के बीआर आंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के कुलपति एनआर भानुमर्ति ने कहा, ‘यह निरंतर प्रक्रिया है। पहले भी बीके चतुर्वेदी समिति की सिफारिशों के आधार पर योजनाओं की संख्या कम करने के लिए कदम उठाए गए थे। प्रयास खर्च घटाने और राजस्व बढ़ाने पर है।’
2015-16 में आठ केंद्र प्रायोजित योजनाओं को वित्तीय सहायता बंद कर दी गई थी। इनमें राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना, पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष, पुलिस बल आधुनिकीकरण तथा राजीव गांधी पंचायत सशक्तीकरण अभियान आदि शामिल थीं।

First Published - July 25, 2021 | 11:49 PM IST

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