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कोरोना की नई किस्म से अर्थव्यवस्था को जोखिम

Last Updated- December 12, 2022 | 2:27 AM IST

हाल के महीनों में कमजोर हुई देश की आर्थिक बहाली को आगे और भी झटका लगने की आशंका है। रॉयटर्स की ओर से अर्थशास्त्रियों से कराई गई रायशुमारी से पता चलता है कि कोरोनावायरस की नई किस्म और महंगाई बढऩे से अर्थव्यवस्था पर खतरा बढ़ गया है।
ताजा सर्वेक्षण के परिणामों से पता चलता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगे चलकर कठोर नीति बना सकता है क्योंकि लगातार दो महीने से महंगाई 6 फीसदी से ऊपर है जो कि रिजर्व बैंक की ओर से निर्धारित ऊपरी सीमा है। रिजर्व बैंक ने पिछले हफ्ते कहा था कि अर्थव्यस्था के लिए संभावना उज्ज्वल है और महंगाई में वृद्घि अल्पकालिक रहेगी।
लेकिन देश के कुछ राज्यों में डेल्टा किस्म के तेज प्रसार और करीब दुनिया भर में इसके प्रभावी होने से आशंकाएं बढ़ गई हैं क्योंकि देश कोविड-19 की विनाशकारी लहर से जूझ रहा है।    
15 से 22 जुलाई के बीच कराई गई रायशुमारी में 52 अर्थशास्त्रियों ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के वृद्घि अनुमान में लगातार तीसरी बार गिरावट दर्शाई और अगले वर्ष के लिए लगातार तीसरी बार वृद्घि का अनुमान भी जताया।
एक अतिरिक्त प्रश्न पर प्रतिक्रिया देने वाले 36 अर्थशास्त्रियों में से 23 ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए कोरोनावायरस की किस्म सबसे बड़ा जोखिम है जबकि कुछ ही लोगों ने महंगाई को सबसे बड़ा जोखिम करार दिया।
डीबीएस की अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, ‘मामलों में दोबारा से उछाल और कोरोनावायरस की नई किस्म के सामने आने पर साल के बाकी समय में अर्थव्यवस्था पर उल्लेखनीय जोखिम पड़ सकता है खासकर ऐसे समय पर जब टीकाकरण से बड़ी आबादी अब तक वंचित है।’
पिछले महीने वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों पर रॉयटर्स की ओर से कराए गए एक अलग सर्वेक्षण में कहा गया था कि भारत में कोविड की अन्य लहर अक्टूबर महीने में आने की आशंका है।        
पिछले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में संकुचन आने के बाद चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 9.4 फीसदी की दर से बढऩे की उम्मीद जताई गई है।
अर्थव्यवस्था में इससे पहले इतनी तेज वृद्घि 2010 में हुई थी।
ताजा अनुमान मई में कराई गई रायशुमारी के दौरान दिए गए 9.8 फीसदी के अनुमान से कम है जबकि अप्रैल का अनुमान 11 फीसदी वृद्घि का था। अभी का अनुमान रिजर्व बैंक द्वारा जताए गए 9.5 फीसदी के ताजा अनुमान से मामूली कम है।
चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्घि के उनके सबसे खराब अनुमान के बारे में पूछे जाने पर अर्थशास्त्रियों ने कहा कि यह 5 फीसदी से 9 फीसदी के बीच 7 फीसदी रह सकता है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए वृद्घि 6.9 फीसदी अनुमानित है।

मुद्रास्फीति का ठहराव
भले ही अंतिम उपाय में महंगाई 6.3 फीसदी से नीचे आने का अनुमान जताया गया था लेकिन आमराय यह थी कि कम से कम 2023 के आरंभिक महीनों तक इसका औसत रिजर्व बैंक के 2 फीसदी से 6 फीसदी की मध्यावधि लक्ष्य के मध्य बिंदु से ऊपर रहेगा।
चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में महंगाई का औसत क्रमश: 5.5 फीसदी और 4.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया, जो मई में जताए गए 5 फीसदी से अधिक और 4.7 फीसदी पर स्थिर है।
फिलहाहल के लिए रिजर्व बैंक की ओर से नीतिगत दरों में किसी प्रकार के बदलाव की उम्मीद नहीं है क्योंकि महंगाई चरम पर पहुंच रही है। 

First Published - July 24, 2021 | 12:09 AM IST

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