एशियाई मुद्राओं की बढ़त पर चलते हुए अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 0.2 फीसदी चढ़ गया। इसके अतिरिक्त एमएससीआई के नवंबर की पुनर्संतुलन कवायद प्रभावी होने से भारतीय बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों के करीब 2.5 अरब डॉलर का निवेश करने की संभावना ने भी बाजार को मजबूती दी। स्थानीय मुद्रा सोमवार को डॉलर के मुकाबले 84.29 पर टिकी जो शुक्रवार को 84.46 पर रही थी।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव पर लगाम कसने के लिए डॉलर खरीद के जरिये हस्तक्षेप किया। एक डीलर ने कहा कि डॉलर इंडेक्स नरम रहा और आरबीआई ने डॉलर की थोड़ी खरीद की।
अमेरिकी वित्त मंत्री के रूप में स्कॉट ब्रेसेंट की नियुक्ति के बाद डॉलर इंडेक्स घटकर 106.90 पर आ गया। बेंचमार्क 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड घटकर 4.34 फीसदी पर आ गया जबकि अल्पावधि का प्रतिफल उच्च स्तर पर बना रहा। विदेशी मुद्रा के डीलरों ने कहा कि रुपये ने बढ़त की क्षमता का प्रदर्शन किया है, लेकिन कई कारक इसकी बढ़त को सीमित कर सकते हैं।
यूरोप की आर्थिक कमजोरी और मजबूत अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों के कारण डॉलर सूचकांक के ऊंचे स्तर के साथ-साथ रूस-यूक्रेन संघर्ष में बढ़ते तनाव के बीच पिछले सप्ताह तेल की कीमतों में लगभग 5 फीसदी की वृद्धि अहम चुनौतियां पेश करती हैं। इन घटनाक्रमों से भारत के व्यापार संतुलन पर दबाव पड़ने की संभावना है जिससे रुपये की निरंतर बढ़त प्रभावित हो सकती है।