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महंगाई में अनुमान से ज्यादा तेज गिरावट

Last Updated- December 12, 2022 | 1:01 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज कहा कि महंगाई में अनुमान से अधिक तेजी से गिरावट आ रही है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि अगस्त में 5.3 फीसदी मुद्रास्फीति ने साबित किया है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का मई में मुद्रास्फीति के ऊंचे आंकड़े को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना सही कदम था। 
अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर 5.3 फीसदी रही, जो आरबीआई के अनुमान से भी कम है। केंद्रीय बैंक ने सितंबर में समाप्त होने वाली दूसरी तिमाही के लिए 5.9 फीसदी और दिसंबर में समाप्त होने वाली तीसरी तिमाही के लिए 5.3 फीसदी महंगाई का अनुमान जताया था। आरबीआई ने सितंबर के बुलेटिन में कहा कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी तीसरी तिमाही में भी जारी रहने के आसार हैं, जिससे ईंधन एवं मूल कीमतों के कारण मुख्य महंगाई बढऩे का दबाव काबू में रहेगा। 

डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र ने कहा कि मुद्रास्फीति के आंकड़ों ने एमपीसी के रुख को सही साबित किया है क्योंकि महंगाई घटकर निर्धारित दायरे में आ गई है और पहली तिमाही में वृद्धि आरबीआई के अनुमान के मुताबिक रही है। आरबीआई का अनुमान है कि अर्थव्यवस्था सही स्थिति में है और चालू वित्त वर्ष में उसके द्वारा अनुमानित वृद्धि दर को हासिल करने के लिए सही रास्ते पर बढ़ रही है। 
अब एमपीसी एक निश्चित राह पर चलेगी, जिससे वित्त वर्ष 2023-24 तक अर्थव्यवस्था में महंगाई घटकर 4 फीसदी के नजदीक रह जाएगी। एमपीसी को यह जिम्मेदारी दी गई है। एमपीसी को महामारी के हालात देखते हुए 2020-21 में 6.2 फीसदी की ऊंची औसत महंगाई दर बर्दाश्त करनी पड़ी। लेकिन समिति की तरफ से तैयार योजना सुनिश्चित करेगी कि महंगाई 2021-22 में घटकर 5.7 फीसदी पर और 2022-23 में 5 फीसदी से नीचे आ जाए। 

पात्र ने सीआईआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘वृद्धि और महंगाई के परिदृश्य और अवस्फीति की छिपी कीमत को मद्देनजर रखते हुए एक खाका तैयार करना आवश्यक है, जिसके आधार पर एमपीसी भविष्य में महंगाई को लेकर फैसले ले सकेगी।’
पात्रा ने कहा कि एमपीसी के आकलन के मुताबिक महंगाई के दबाव की मुख्य वजह आपूर्ति से जुड़ी हैं। हालांकि आपूर्ति से संबंधित ये अड़चनें अस्थायी होंगी। लेकिन बार-बार आपूर्ति के झटकों से महंगाई लगातार ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। डिप्टी गवर्नर ने कहा कि सीपीआई में केवल 20 फीसदी हिस्सा रखने वाले उत्पाद 50 फीसदी महंगाई के लिए जिम्मेदार हैं।

First Published - September 17, 2021 | 12:12 AM IST

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