अर्थव्यवस्था पर छा रहे वित्तीय संकटों के बादलों को कुछ हद तक दूर करने के लिए छह देशों ने ब्याज दरों में कटौती की घोषणा की।
जिसमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व, यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) के अलावा चार और देशों के केंद्रीय बैंकों ने एक आपातकालीन निर्णय लेते हुए संयुक्त रूप से ब्याज दरों में कटौती की घोषणा की। फेडरल रिजर्व, ईसीबी, बैंक ऑफ इंगलैंड, बैंक ऑफ कनाडा और स्वीडन के रिक्सबैंक ने ब्याज दरों में आधे फीसदी की कटौती की है।
स्विट्जरलैंड का केंद्रीय बैंक भी इस कदम में शामिल था। वहीं चीन के केंद्रीय बैंक ने इन बैंकों के साथ मिलकर तो नहीं पर अलग से एक वर्ष वाली अवधि के लेंडिंग दरों में 0.27 फीसदी की कटौती की है। बैंक ऑफ जापान ने भी बैंकों के इस कदम का समर्थन किया है, हालांकि उसने खुद अभी ब्याज दरों में कटौती की कोई घोषणा नहीं की है।
इन केंद्रीय बैंकों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा, ‘पिछले कुछ समय में वित्तीय संकट गहराया है और इससे विकास प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है।’ बयान के मुताबिक केंद्रीय बैंकों ने माना कि वैश्विक वित्तीय हालात के बीच मौद्रिक नीतियों में थोड़ी ढिलाई दी जानी जरूरी थी।
इस कटौती के साथ ही फेडरल रिजर्व की बेंचमार्क दर 1.5 फीसदी रह गई है। ईसीबी की मुख्य दर 3.75 फीसदी, कनाडा की ब्याज दरें 2.5 फीसदी, ब्रिटेन की 4.5 फीसदी और स्वीडन की दरें 4.25 फीसदी रह गई हैं। चीन ने तो पिछले तीन हफ्तों में दूसरी बार ब्याज दरें घटाई हैं और इस कटौती के साथ ब्याज दरें 6.93 फीसदी पर पहुंच गई हैं।
देखा न ऐसा संकट
अमेरिका 1930 की महामंदी के दौर के बाद सबसे बड़े वित्तीय संकट से जूझ रहा है। सबसे बड़ी चुनौती है कि कंपनियों के अधिकारियों की झोलियां सहायता से न भरें।
राष्ट्रपति पद के डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बराक ओबामा
मैं लूंगा जिम्मा
अगर मैं चुना गया तो वित्त मंत्री को आदेश दूंगा कि कर्ज अदा करने में असमर्थ लोगों का कर्ज अपने जिम्मे ले लें।
राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जॉन मैक्केन
मैं हूं न!
नकदी की समस्या है जिसका समाधान किया जाएगा। निश्चित तौर पर नकदी प्रदान की जाएगी। विश्व में हर कोई ऐसा कर रहा है। वैश्विक वित्तीय संकट के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है।
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम
न घबराना प्यारे!
निवेशकों के लिए चिंता का विषय है। वैश्विक वित्तीय बाजार के स्थिर होने पर स्थिति सामान्य हो जाएगी। भारत में गिरावट कोई अनूठी बात नहीं है।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष
मोंटेक सिंह अहलूवालिया