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पूंजीगत व्यय में आई सुस्ती

Last Updated- December 12, 2022 | 10:06 AM IST

भवन, फैक्टरियां व अन्य संपत्तियां बनाने के लिए नई परियोजनाओं में कमी आई है और यह महामारी शुरू होने के बाद के निचले स्तर पर है।
दिसंबर 2019 में 7.01 लाख करोड़ रुपये की नई संपत्तियों का सृजन हुआ। सेंटर फॉल मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के प्रोजेक्ट ट्रैकर के आंकड़ों से पता चलता है कि दिसंबर 2020 को समाप्त तिमाही के   दौरान इसमें 88.6 प्रतिशत की कमी आई है।
विनिर्माण संयंत्रों जैसी नई संपत्तियों के सृजन में खर्च किए गए धन को पूंजीगत व्यय कहा जाता है और इसे आर्थिक वृद्धि का प्रमुख चालक कहा जा सकता है। कंपनियां उस स्थिति में अतिरिक्त विनिर्माण या उत्पादन क्षमता स्थापित करती हैं, जब वे अनुमान लगाती हैं कि मौजूदा क्षमता से मांग पूरी करना संभव नहीं होगा। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड-19 महामारी के प्रसार से मांग पर बहुत बुरा असर पड़ा है।
अक्टूबर में जारी रिजर्व बैंक के वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के ऑर्डर बुक्स, इंवेंट्रीज ऐंड कैपेसिटी युटिलाइजेशन सर्वे (ओबीआईसीयूएस) से पता चलता है कि क्षमता उपयोग गिरकर 50 प्रतिशत से नीचे आ गया है। ये आंकड़े एक अंतराल के बाद जारी किए गए।
इसमें कहा गया है, ‘कुल मिलाकर क्षमता उपयोग (सीयू) वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही के 69.9 प्रतिशत से तेजी से गिरकर वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में 47.3 प्रतिशत रह गया, क्योंकि इस तिमाही में लॉकडाउन के कारण घरेलू आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुईं। मौसम के मुताबिक समायोजित सीयू भी वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में गिरकर 48.2 प्रतिशत रह गई, जो इसके पहले की तिमाही में 68.2 प्रतिशत थी।’
मौजूदा क्षमता का पूरी तरह से इस्तेमाल न हो पाने के कारण नई संपत्तियों में निवेश को लेकर कंपनियां कम उत्साहित थीं।
पूरी हो चुकी परियोजनाएं 74.2 प्रतिशत कम हो कर 0.43 लाख करोड़ रुपये की रह गईं। अटकी परियोजाएं 52.5 प्रतिशत गिरकर  0.29 लाख करोड़ रुपये की रह गईं। पुनर्जीवित परियोजनाएं 90.2 प्रतिशत गिरकर 0.08 लाख करोड़ रुपये की रहीं।
नवंबर में सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक इस तरह की निवेश गतिविधियों का मुख्य संकेतक सकल नियत पूंजी सृजन वित्त वर्ष की पहली छमाही में एक चौथाई गिरा। सितंबर में समाप्त तिमाही में मौजूदा भाव पर यह 28.3 प्रतिशत था।
कुछ सुधार के भी संकेत हैं। ब्रोकरेज हाउस जेफरीज इंडिया की एक इक्विडी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर तिमाही में निजी क्षेत्र की इंजीनियरिंग एवं निर्माण कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) के ऑर्डर में 36 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है। इक्विटी विश्लेषक लवीना क्वाड्रोस और अपूर्वा बहादुर के मुताबिक इससे यह जरूरी नहीं है कि पूंजीगत व्यय या बुनियादी ढांचे में कुल मिलाकर रिकवरी होगी।  
एडलवाइज सिक्योरिटीज की दिसंबर की दूसरी इकोनॉमी रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों का चुनिंदा पुनरुद्धार हो सकता है। रिपोर्ट के लेखकों ने कहा है, ‘हमें लगता है कि पूंजीगत व्यय कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में होगा। प्रमुख श्रेणियों में सरकार का पूंजीगत व्यय, कॉर्पोरेट ट्रेडेबल (विनिर्माण), कॉर्पोरेट नॉन ट्रेडेबल (सेवाओं), हाउसिंग और अन्य में हमें उम्मीद है कि विनिर्माण कैपेक्स का बड़ा हिस्सा आएगा और रियल एस्टेट को कुछ क्षेत्रों (ज्यादा आय, मेट्रो)में कम दरों की वजह से मदद मिलेगी।’

First Published - January 1, 2021 | 9:05 PM IST

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