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सॉवरिन वेल्थ फंडों का भारत में चीन से अधिक निवेश

Last Updated- December 14, 2022 | 8:25 PM IST

निजी क्षेत्र में वैश्विक सॉवरिन वेल्थ फंडों को आक र्षित करने के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। यह भारत के प्रति ऐसे फंडों के बढ़ते आकर्षण को दर्शाता है। न्यूयॉर्क स्थित ग्लोबल एसडब्ल्यूएफ के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अब तक इन फंडों ने भारत में 14.8 अरब डॉलर से अधिक रकम का निवेश किया है। आंकड़ों के अनुसार यह रकम इसी दौरान चीन में इन फंडों के निवेश का तीन गुनी है। इस वर्ष निवेश की गई रकम में अंतर बढ़ गया, लेकिन यह सिलसिला 2019 में शुरू हुआ था जब सॉवरिन वेल्थ फंडों ने भारत में 10.1 अरब डॉलर निवेश किए थे, जबकि चीन में उनका निवेश 6.4 अरब डॉलर रहा था।
हालांकि  वर्ष 2015 से 2018 के बीच चीन इन फंडों को आकर्षित करने के मामले में भारत से कहीं आगे था। इस दौरान सॉवरिन फंडों ने चीन में 46 अरब डॉलर निवेश किए थे, जबकि भारत में उन्होंने महज 24.6 अरब डॉलर का निवेश किया था। इस बारे में एक अग्रणी वैश्विक पीई कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा, ‘सॉवरिन वेल्थ फंडों का चीन के प्रति आकर्षण कम होता जा रहा है। अमेरिका के साथ चीन का बढ़ता तनाव इसकी मुख्य वजह है। दूसरी तरफ भारत आर्थिक कोविड-19 महामारी का संकट झेलने के बाद भी दीर्घ अवधि के लिहाज से इन फंडों का चहेता बना हुआ है।’
एक दूसरी अच्छी बात यह है कि पश्चिम एशिया के सावॅरिन वेल्थ फंडों ने भी भारत को लेकर खासा उत्साह जगाया है। वीसीसीऐज के अनुसार वर्ष 2020 में शीर्ष सॉवरिन वेल्थ फंडों ने अब तक कुल 14 सौदों के जरिये भारत में 7.38 अरब डॉलर निवेश किए हैं। इन वेल्थ फंडों में अबु धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीआईए), पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (पीआईएफ), मुबाडाला, कुवैत इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी और इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ दुबई और कतर इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी शामिल हैं। हालांकि 2019 में इन बड़े फंडों ने 10 समझौतों में महज 0.98 अरब डॉलर ही निवेश किए थे।
हालांकि सिंगापुर के सॉवरिन वेल्थ फंडों ने 16 सौदों के तहत भारत में 1.6 अरब डॉलर निवेश किए। हालांकि 2019 के आंकड़ों की तुलना में यह आंकड़ा 30 प्रतिशत कम है। पिछले साल सिंगापुर के इन फंडों ने भारत ने 16 सौदों के जरिये ही 2.1 अरब डॉलर रकम झोंकी थी। इन फंडों में टेमासेक और जीआईसी शामिल थे, जिन्होंने भारत में अपना निवेश कम कर दिया।
भारत के प्रति पश्चिम एशिया के सॉवरिन फंडों के लगाव का अंदाजा मुबाडाला से लगाया जा सकता है, जिसकी परिसंपत्ति कुल 230 अरब डॉलर है। इस फंड ने 2020 में 1 दिसंबर तक 11 अरब डॉलर निवेश किया था, जिनमें भारत में कुल 2.05 अरब डॉलर रकम आई थी। कुल मिलाकर इस वर्ष मुबाडाला ने जितनी रकम का निवेश किया है, उसका यह 18 प्रतिशत है। पिछले साल के मुकाबले इस फंड ने 46 प्रतिशत अधिक रकम का निवेश किया, लेकिन भारत में पिछले वर्ष के मुकाबले इसके निवेश में नाटकीय बढ़ोतरी हुई है।
भारत में निवेश मोटे तौर पर रिलायंस रिटेल मेंं हुआ है। अबु धाबी तेल से प्राप्त होने वाले राजस्व पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है तकनीकी क्षेत्र में अधिक से अधिक निवेश करना चाहता है। इसके अलावा खुदरा एवं वित्तीय सेवा क्षेत्र में भी यह काफी दिलचस्पी ले रहा है। वैश्विक सॉवरिन फंडों में एक अहम रुझान यह भी देखने में आया है कि वे पिछले वर्ष के मुकाबले पूंजी निवेश कम रहे हैं। विभिन्न सॉवरिन फंडों के मामले में इसमेंं 36 प्रतिशत तक कमी आई है। मुबाडाला और पीआईएफ को छोड़कर ज्यादातर एशियाई फंडों ने भी अपने निवेश 40 से 50 प्रतिशत के दायरे में कम किए हैं। इसके बावजूद उन्होंने भारत में अपने निवेश कम नहीं किए हैं। उदाहरण के लिए एडीआईए ने भारत में निवेश लगभग चार गुना तक बढ़ा दिया है।

First Published - December 9, 2020 | 11:02 PM IST

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