राजस्व में भारी कमी का सामना कर रही राज्य सरकारें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) क्षतिपूर्ति अवधि में पांच वर्ष तक का इजाफा करने की मांग करेंगी। यह अवधि 2021-22 में समाप्त हो रही है। राज्य इसके बाद इसमें पांच साल तक का और इजाफा करने की मांग करेंगे।
वे केंद्र को केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) पर परिव्यय और राजस्व घाटा अनुदानों में भी कमी नहीं करने को लेकर चेताएंगे। इन खर्चों के वहन के लिए केंद्र को चाहे बाजार से उधार ही क्यों न लेना पड़े।
वे इसकी भी मांग कर सकते हैं कि केंद्र राज्यों के लिए बिना शर्त वाली उधारी की सीमा को बढ़ाए। फिलहाल, प्रत्येक राज्य को अपना राजकोषीय घाटा अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3.5 फीसदी तक पहुंचने तक बिना शर्त उधारी जुटाने की अनुमति है। राज्य इस सीमा को बढ़ाकर 4.5 फीसदी करना चाहते हैं।
अपर्याप्त उपकर संग्रह के बीच वैकल्पिक क्षतिपूर्ति तंत्रों पर चर्चा करने के लिए इस महीने जीएसटी परिषद की बैठक होने की उम्मीद है। राज्य 15वें वित्त आयोग को क्षतिपूर्ति की समय सीमा को बढ़ाने के लिए पत्र लिखेंगे। इसके लिए उनका तर्क है कि क्षतिपूर्ति मिलना बंद हो जाने पर 2022 के बाद उनके लिए अपने नित्य खर्चों को पूरा कर पाना नामुमकिन हो जाएगा।
वैकल्पिक तंत्र के प्रस्ताव में परिषद को बाजार से उधारी जुटाने की अनुमति देना शामिल है।
एक ओर जहां कुछ राज्य राजस्व में कमी की भरपाई के लिए बाजार से उधारी जुटाने पर जोर दे रहे हैं वहीं कई दूसरे इससे सहमत नहीं हैं।
बिहार बाजार से उधारी जुटाने के खिलाफ है, वह क्षतिपूर्ति अवधि को और पांच साल के लिए बढ़ाने की मांग करेगा। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘हम क्षतिपूर्ति अवधि को और पांच साल के लिए बढ़ाने के लिए वित्त आयोग को पत्र लिखेंगे, ताकि हमें क्षतिपूर्ति उपकर से मिलने राजस्व में आई कमी की भरपाई की जा सके। इस साल दरों में इजाफा करने की कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि हम कोविड के बीच आम जनता पर और अधिक बोझ नहीं डाल सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि राज्यों को कोविड-19 जैसी परिस्थिति में जीएसटी में कमी आने से सबक लेने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, ‘चूंकि अपर्याप्त संग्रह के मामले में राज्य सरकारें क्षतिपूर्ति की मांग कर केंद्र के खजाने पर दबाव नहीं बढ़ाने जा रही हैं, ऐसे में वित्त आयोग को क्षतिपूर्ति अवधि को आगे तक के लिए बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।’
पंजाब भी क्षतिपूर्ति अवधि को 2022 से आगे के लिए बढ़ाने का दबाव बनाएगा।
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा, ‘यदि मैं अपने खर्चों को पूरा नहीं कर सकता तो मैं क्या करूंगा? 2022 के बाद राज्यों को जीएसटी पर पुनर्विचार करने की जरूरत पड़ सकती है। एक बार क्षतिपूर्ति मिलना बंद हो जाने पर मैं स्कूल और अस्पतालों को बंद नहीं कर सकता। मैं नहरों और बिजली संयंत्रों को चलने से बंद नहीं सकता। मैं पुलिस व्यवस्था को समाप्त नहीं कर सकता और जेलों को बंद नहीं कर सकता। इन सबके लिए मुझे पैसे की जरूरत है।’
उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार वित्त आयोग को क्षतिपूर्ति अवधि को बढ़ाने और इसमें धीरे धीरे कमी लाने के लिए पत्र लिखेगी। पश्चिम बंगाल और केरल भी क्षतिपूर्ति अवधि को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।